अयोध्या। इमोशनली इंटेलीजेंट टीचर छात्र व्यवहार विकार से हताश न होते हुए अपनी क्षमता का श्रेष्ठ उपयोग व्यवहार परिमार्जन में कर सकता है। उक्त बातें पी एम श्री केंद्रीय विद्यालय में आयोजित शिक्षक मनोप्रशिक्षण कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने कही।
उन बाल व किशोर मनो विकारों पर परिचर्चा हुई की जो कि आगे चलकर गम्भीर मनोरोग का कारण बन सकतें है। स्टूडेंट्स में बढ़ती इमोशनल हेल्थ संशयों व मुद्दो पर खुल कर समाधान चर्चा हुई। परिवार व स्कूल के भावनात्मक वातावरण के संवर्धन व सहयोग पर विशेष जोर देते हुए इमोशनल इंटेलीजेंस की रोल मॉडलिंग पर जोर दिया गया। टीचर, स्टूडेंट व परिजन एक ही चेन की भावनात्मक कड़ी होती है तथा स्टूडेन्ट के इस चेन की सबसे संवेदनशील कड़ी होने के कारण अन्य दो कड़ियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है ।क्योंकि बचपन व किशोरावास्था में इमोशनल ब्रेन अपरिपक्व होता है। बिहेवियर मैनेजमेंट सीखने की उम्र यही होती जिससे स्टूडेन्ट तनाव का स्वस्थ प्रबन्धन करते हुए अपना सफल योगदान करता है। कार्यक्रम के अंत में इमोशनल समस्याओं तथा इंटरनेट की लत से बढ़ते मनोअग़वापन को इमोशनल ट्रेनिंग से काबू करना सिखाया गया ।
कार्यशाला में सभी शिक्षक मौजूद रहे। इमोशनल इंटलीजेंस रोल माडलिंग करते हुए बौद्धिक क्षमता के साथ भावनात्मक बुद्धिमता विकसित करने पर जोर दिया। प्रमुख बाल व किशोर मनोसमस्याओं जैसे ए डी एच डी,आटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, डिस्लेक्सिया, मेन्टल रिटारडेशन, डेविएन्ट बिहेवियरल डिसऑर्डर व अपोजिशनल डिफायन्ट डिसऑर्डर पर विस्तृत चर्चा हुई। अध्यक्षता प्रधानाचार्य आर सी पाण्डेय व संयोजन मोहित भटनागर द्वारा किया गया।