अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि अधिकांश छात्रों की परीक्षा तिथि के पूर्व की रात बड़ी कष्टकारी एवं बेचैन मनोदशा से भरी होती है। नतीजन वह इस रात को न तो समग्र नींद ले पाते है। बल्कि एक चिंतित अर्धनिद्रा जैसी स्थिति में पूरी रात काट देते है और फिर सुबह न ही वे अपने को तरोताजा महसूस कर पाते है, बल्कि एक मानसिक थकान व आत्मविश्वास की कमी से उनका मन जकड़ा रहता है। जिसका दुष्प्रभाव उनके ‘‘इग्जाम-परफारमेंस’पर पड़ सकता है और फिर यही दुश्चचक्र कमोवेश उनके मन को प्रत्येक परीक्षा तिथि की पूर्व रात्रि को घेरने लगता है। मनोविश्लेषण में यह मनः स्थिति पेपर पैरासोमनियां कहलाती है। यह खुलासा जिला चिकित्सालय मे बोर्ड एग्जाम काउंटडाउन कान्फ्लिक्ट कार्यशाला मे किशोर मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने किया।
डॉ मनदर्शन ने बताया कि छः से आठ घन्टे की स्वस्थ नींद के लिए हमारे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ‘‘मेलाटोनिन’’नामक मनोरसायन का होना आवश्यक है। परन्तु परीक्षा पूर्व की रात्रि में तनाव बढ़ाने वाले मनोरसायन‘‘कार्टिसॉल’’ की मात्रा काफी बढ़ जाने के कारण‘‘मेलाटोनिन’’ का स्तर बहुत कम हो जाता है, जिससे हमारी नींद तो दुष्प्रभावित होती ही है, साथ ही‘‘मेलाटोनिन’’ की कमी से हमारे मन में उत्साह व आत्म विश्वास पैदा करने वाले मनोरसायन ‘‘सेराटोनिन’’ का भी स्तर काफी कम हो जाता है। जिससे छात्र की सुबह चुस्त दुरूस्त न होकर निष्तेज व थकी-मादी होती है और फिर यही मनोदशा लेकर छात्र परीक्षा देने पहुंच जाता है जो कि परीक्षा प्रदर्शन को दुष्प्रभावित कर सकता है।
उन्होने बताया कि परीक्षा तिथि से पूर्व की रात्रि छात्र शांत व सन्तुष्टि के मनोभाव से छः से आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य ले तथा सोने से पहले परीक्षा की विषय-वस्तु से मन को आसक्त न होने दे। आत्म-विश्वास भरे मनोभाव से कुछ मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से नींद को अपने उपर हावी होने दें।