बसखारी, अंबेडकर नगर। तडकासुर की आतंक से तीनों लोग व्याकुल था। और उसे वरदान था कि भगवान शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकता है। जगत के कल्याण के लिए मां भगवती पार्वती दक्ष के घर अवतार लेती हैं। नारद नारद मुनि पार्वती जी को शिव जी को प्राप्त करने के लिए तपस्या करने का निर्देश देते हैं। माता पार्वती अखंड तपस्या करती हैं।उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं सप्तर्षी माता पार्वती की परीक्षा लेते हैं।उधर देवता गण कामदेव से भगवान शिव के मन में प्रेम जागृत करने के लिए कहते हैं। कामदेव भगवान शिव के पास जाते हैं उनके प्रभाव से भगवान शिव का ध्यान भंग होता है और अपनी तीसरी नेत्र से कामदेव को जला देते हैं। उनकी पत्नी रति विलाप करती हुई भगवान शिव से निवेदन करती हैं। तत्पश्चात भगवान शिव कृष्ण के पुत्र प्रद्युमन के रूप में अवतरित होने का वरदान देते हैं।इसके पश्चात भगवान विष्णु सहित सारे देवता गण भगवान शिव के पास विवाह के लिए चलने का अनुरोध करते हैं। फिर भगवान शिव जगत के कल्याण के लिए मां पार्वती से विवाह करते हैं। उक्त बातें बसखारी में मोतिगरपुर स्थित सिद्धेश्वर पीठ पर चल रही सप्त दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे दिन गुरुवार को कथा व्यास संपूर्णानंद जी महाराज ने कहीं। उन्होंने बताया कि शिव का अर्थ कल्याण होता है।इसीलिए शिव अजर और अमर है ना तो कभी पैदा होते हैं और ना कभी मरते हैं जगत के कल्याण के लिए ही शिव अजन्मा है।इसके पूर्व सिद्धेश्वर धाम के महंत कृष्णानंद जी मुख्य यजमान राम यज्ञ दुबे कथा व्यास की आरती उतार कर कथा का शुभारंभ करवाया। इस दौरान स्वामी संपूर्णानंद के श्रीमुख से बह रही अमृत कथा का रसपान करने के लिए भारी संख्या में राम कथा प्रेमी श्रद्धालु कथा मंडप में मौजूद रहे। अयोध्या धाम से आएं हुए आचार्य पंडित उमेश यज्ञ, आचार्य पंडित मोरध्वज पांडेय, आचार्य मोनू तिवारी, पंडित विपिन शास्त्री, मनोज तिवारी सहित कई अन्य विद्वान व सहयोगी श्री राम कथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वही सिद्धेश्वर वाला धाम में प्रतिदिन अयोध्या,काशी व चित्रकूट से आए हुए विद्वानों के द्वारा क्षेत्र एवं विश्व शांति एवं कल्याण के लिए यज्ञ मंडप में निरंतर हवन का अनुष्ठान भी किया जा रहा है।