◆ नारे के स्वर ने दी थी आन्दोलन को नई दिशा
◆ 1984 से 1992 तक नारे ने आन्दोलन को पहुंचा दिया शिखर तक
@ अगंराज साहू
अयोध्या। श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान नेताओं के भाषण ने आंदोलन को नई दिशा दी। 90 के दशक में लगने वाले नारों में राम के प्रति सर्वस्व न्यौछावर करने के भाव के साथ जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का संदेश था। इन नारों ने आंदोलन को एक नई दिशा दी जिससे जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सका। अयोध्या में हो रहे भव्य मंदिर निर्माण की नींव में बलिदानियों के सर्मपण भाव के साथ ही लगने वाले नारों की गूंज भी हमेशा सुनाई देगी।
राम जन्म भूमि आंदोलन की पहली बैठक साल 1984 में सरयू तट पर अयोजित हुई थी। जिसमें नारा दिया गया था ‘‘आगे बढ़ो जोर से बोलो, जन्मभूमि का ताला खोलो’’। यह वह दौर था जब लगभग 100 फीट दूर से भगवान के दर्शन एक खिड़की के माध्यम से होता था।
साध्वी ऋतम्भरा जी दिल्ली के रामलीला मैदान में सभा के दौरान राम मंदिर पर आधारित ‘‘वीर शिवा राणा प्रताप ने फिर तुमको ललकारा है, कहो गर्व से हम हिन्दू हैं हिंदुस्तान हमारा है’’ गीत बाद में नारे के रूप में बदल गया। इसी तरह मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा करने में कई नारों ने आंदोलन को शिखर पर ले जाने का कार्य किया। 90 के दशक में रामभक्तों द्वारा लगाए जाने वाले नारों की यह श्रृंखला……..
1. आगे बढ़ो जोर से बोलो, जन्मभूमि का ताला खोलो। (1986 में ताला खुलने से पूर्व)
2. वीर शिवा राणा प्रताप ने फिर तुमको ललकारा है, कहो गर्व से हम हिन्दू हैं हिंदुस्तान हमारा है।
3. बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का।
4. रण चंडी को नर मुण्डो की माला हम पहनांऐ, राम लला हम आए हैं मंदिर भव्य बनाएंगे।
5. सौगन्ध राम की खाते है, हम मंदिर भव्य बनांएगे।
6. जिस हिन्दू का खून न खौले खून नही वह पानी है, जो राम के काम न आए वह बेकार जवानी है।
7. जहां राम का जन्म हुआ है, मंदिर वहीं बनाएंगे।
8. जो नही राम के काम का, वो नही हमारे काम का।
9. एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो, जय श्री राम।
देश भर से अयोध्या आये कारसेवकों ने ऐतिहासिक 6 दिसंबर को कारसेवा के दौरान मंच से ‘‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो, जय श्री राम’’ के उद्घोष से कारसेवकों का जोश शिखर पर पहुंच गया। फिर कुछ ही घंटों में क्या हुआ इसे समूचा विश्व जनता है।