जलालपुर अम्बेडकरनगर। शिक्षा क्षेत्र जलालपुर के प्राथमिक विद्यालय नवानगर में कार्यरत सहायक अध्यापक डॉ. स्नेहलता परिषदीय शिक्षा में नवाचार की मिसाल पेश कर रही हैं। जहां एक ओर सरकार नई शिक्षा नीति के तहत ‘निपुण भारत अभियान’ के माध्यम से बुनियादी शिक्षा में दक्षता को बढ़ावा दे रही है, वहीं डॉ. स्नेहलता तकनीकी युग की आवश्यकताओं को समझते हुए प्राथमिक स्तर के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा से जोड़ने का सराहनीय कार्य कर रही हैं।
डॉ. स्नेहलता का मानना है कि डिजिटल लिटरेसी वर्तमान समय की अनिवार्यता है और इसके बिना बच्चों का समग्र विकास अधूरा है। उन्होंने बताया कि यद्यपि एससीईआरटी ने जूनियर कक्षाओं की विज्ञान पुस्तकों में डिजिटल पाठ्यक्रम को जोड़ा है, परंतु प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने आईसीटी की पाठशाला द्वारा निर्मित ‘डिजिटल लिटरेसी बाल ई-पोस्ट’ के माध्यम से छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को कंप्यूटर की प्रारंभिक जानकारी देना शुरू किया है।
इस बाल ई-पोस्ट की विशेषता यह है कि इसमें बच्चों के आस-पास के संसाधनों से जोड़ते हुए कंप्यूटर अवधारणाओं को सरलता से प्रस्तुत किया गया है। बच्चों को साइबर सुरक्षा से संबंधित प्राथमिक जानकारी भी दी जा रही है, जिससे वे भविष्य में ऑनलाइन खतरों से सतर्क रह सकें।
विद्यालय के छात्र बंटी, जयसिंह, रीशू, दिव्यांशी और सलोनी ने बताया कि मैडम कंप्यूटर की शिक्षा को बहुत ही रुचिकर ढंग से पढ़ाती हैं और अन्य विषयों में भी गतिविधि आधारित शिक्षण कराती हैं। विद्यालय में बन रहा आईसीटी का वातावरण बच्चों में सीखने की उत्सुकता को बढ़ा रहा है और वे प्रतिदिन विद्यालय आकर उत्साहपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं।
डॉ. स्नेहलता की यह पहल न केवल परिषदीय विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा की नींव रख रही है, बल्कि शिक्षा को आधुनिक समय की जरूरतों से जोड़ने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है