◆ अब तीरंदाजी के लिए भी जानी जाएगी अयोध्या – अवस्थी
अयोध्या। राष्ट्रीय सीनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता 2023 के अंतिम चरण में बुधवार को सरयू तट पर स्थित राम की पैड़ी पर आयोजित पुरस्कार वितरण एवं समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश केकृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खेल नीति से खेलों को पुनर्जीवन मिला है। उत्तर प्रदेश पहले भी खेलों में आगे था, जिसमें सुधार हुआ है। उत्तर प्रदेश केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि हर उस खिलाड़ी को अब प्रोत्साहित कर रहा है, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाएं जीती हैं। तीरंदाजी हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी हुई है। भगवान राम ने लंकापति रावण को धनुर्विद्या से ही परास्त किया। अर्जुन, द्रोणाचार्य और एकलव्य जैसे धनुर्धर हमारे पौराणिक गौरव हैं।
स्वागत भाषण में उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि जब माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तब से अयोध्या दीपोत्सव के लिए विश्व में जानी और पहचानी जाने लगी। अब तीरंदाजी भी अयोध्या की पहचान के रूप में स्थापित होगी। समापन समारोह को महापौर अयोध्या महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने भी संबोधित किया।
अयोध्या में हो सकता है तीरंदाजी का विश्व कप और एशिया कप
पत्रकारों से बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी नें कहा कि राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिता का बड़ा आयोजन करके हमें यह अनुभव हो रहा है कि महान धनुर्धर भगवान राम की धरती पर तीरंदाजी की विश्व कप और एशिया कप जैसी अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश तीरंदाजी संघ को विस्तार देने के प्रयास प्रारंभ हो गए हैं। हर जिले में तीरंदाजी संघ गठित किया जाएगा।
लोक में भी धनुषधारी राम व्याप्तः पद्मश्री मालिनी
समापन समारोह में विशेष रूप से पहुंची प्रसिद्ध गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने सुंदर राम सांवर धनुधरिया और तोहरा से पूछे जनकपुर की नारी हे धनुषधारी एक भाई गोर काहे एक भाई कारी आदि लोकगीतों का उदाहरण देते हुए कहा कि लोक में भी भगवान राम की धनुर्धारी की छवि व्याप्त है। यह राम की नगरी है। और यहां पर यह प्रतियोगिता हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपरा से जोड़ रही है।