रविवार को वृष तथा सिंह लग्न में है पूजन का मूर्हुत
अयोध्या। अमावस्या रविवार को दोपहर 2.44 पर लग रही है। यह सोमवार को 2.56 दोपहर तक रहेगी। इसलिए दीपावली का त्यौहार 12 नवम्बर को मनाया जाएगा। 12 नवम्बर की शाम 5.12 शाम से 13 नवम्बर की देर रात 2 बजे तक लक्ष्मी पूजा का मुहुर्त है। इसमें अगर स्थित लग्न में पूजा किया जाय, तो वह ज्यादा फलदायक होती है।
अयोध्या रायगंज के रहने वाले ज्योतिषाचार्य पंडित रंजन तिवारी ने बताया कि स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस दीपावली में दो स्थिर लग्न लग रहे है। जिसमें वृष लग्न सायंकाल 5 बजकर 23 मिनट से लेकर 7.30 तक है। इसके बाद सिंह लग्न रात्रि 11.30 से लेकर 13 नवम्बर देर रात्रि 2 बजे तक है। दोनो लग्नों में सर्वश्रेष्ठ वृष लग्न में पूजा मानी जा रही है। अगर वृष लग्न में पूजा की जाय तो यह जीवन में सुख, वैभव व समृद्धि लाने वाला होता है। सिंह लग्न व्यापारियों के पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। अगर व्यापारी भी वृष लग्न में पूजा करें तो वह उनके लिए उत्तम होगी।
कुश के आसन पर बैठकर षोडशोपचार पूजन माना जाता है सर्वश्रेष्ठ
दीपावली के दिन कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी व भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। षोडशोपचार पूजन को सबसे अच्छा माना जाता है। पूजन में पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन व ताम्बूल अर्पित करने का प्राविधान है। नैवेद्य में नमक व मिर्च से बनी वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है। लक्ष्मी जी को मखाना, सिंगाड़ा, बताशे, ईख, हलुआ, खीर, अनार, पान, सफेद व पीले रंग के मिष्ठान अर्पित किए जाते है।