अयोध्या। मनोचिकित्सक डा अलोक मनदर्शन ने बताया कि पर्व व त्यौहार न केवल मनोतनाव पैदा करने वाले मनो रसायन कॉर्टिसाल के स्तर को कम करते है बल्कि मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन तथा आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन की मात्रा को बढ़ावा देने मे सहायक होते हैं जिससे मन में स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता है। मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है। पर्व जनित आनंद व उत्तेजना से मस्तिष्क में डोपामिन मनोरसायन की बाढ़ इस तरह हावी हो जाती है कि वापस सामान्य सामान्य दिनचर्या में वापसी में मन अनमनापन महसूस करने लगता है ।
यह मनोवृत्ति बच्चो, किशोरो व युवाओं में अधिक दिखती है क्यूकि इनके मस्तिष्क के रिवॉर्ड सिस्टम में आनंद व उत्तेजना से चलायमान बने रहने वाले हार्मोन डोपामिन की सक्रियता अधिक होती है और पर्व के बीत जाने के बाद भी उसी आंनद के चर्मोत्कर्ष की चाहत न केवल बनी रहती है बल्कि वापस सामान्य दिनचर्या में लौटने पर अनमनापन व बेचैनी महसूस होने लगती है जिसे मनो विश्लेषण की भाषा में फेस्टिवल विद्ड्राल सिंड्रोम कहा जाता है । साथ ही, त्यौहार जनित मनोशारीरिक थकान भी उत्पादक दिनचर्या वापसी मे बाधा बन सकती है जिसे फेस्टिवल फटीग कहा जाता है । यह दोनो पहलू मिलकर एक मनोप्रभाव का रुप लेते है जिसे फेस्टिवल हैंगओवर कहा जाता है। कार्यस्थल पर वापसी से पूर्व नींद का पूरा होना तथा कार्य स्थल व शिक्षक संस्थान के हमजोली समूह में खुशमिजाजी व परस्पर सहयोग का वातावरण काफी मददगार होता है और फिर दिनोदिन सामान्य दिनचर्या से समायोजित होने वाला हार्मोन सेरोटोनिन की मात्रा अपेक्षित स्तर को वापस प्राप्त कर लेती है तथा सामान्य उत्पादक दिन दिनचर्या की वापसी हो जाती है । फिर भी यदि समस्या बनी रही तो मनोपरामर्श सहायक होगा।