अंबेडकर नगर। जिलाधिकारी अविनाश सिंह द्वारा सोमवार को जनपद में कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम, इकाई की ऐसी परियोजनाओं जो कि शासन की मंशा के अनुरूप जनोपयोगी नहीं हो पायी है कार्यदायी संस्था की लचर कार्यप्रणाली से क्षुब्ध होकर कड़े तेवर अपनाते हुए औचक निरीक्षण किया गया। राजकीय इंजीनियरिंग कालेज, अकबरपुर, में जिलाधिकारी को लगातार यह सूचना मिल रही थी कि रू0 92.16 करोड़ की लागत से निर्मित इंजीनियरिंग कालेज में तत्कालीन अधिकारियों द्वारा विभिन्न प्रकार की लापरवाहियां बरतते हुए डी०पी०आर० से विचलन करते हुए कई कमियां बरती गयी हैं। मौके पर कार्यदायी संस्था द्वारा मानक से कम पेयजल हेतु टैंक की व्यवस्था किये जाने, प्रकाश व्यवस्था के अन्तर्गत मानक से कम स्ट्रीट लाइट लगाये जाने, छात्रावास के अन्तः वासियों के 22 कमरों में आलमारी की व्यवस्था न किये जाने एवं इसके अतिरिक्त अन्य कई कार्यों को अधूरा छोड़ दिये जाने पर कार्यदायी संस्था की कार्यपद्धति से नाराजगी व्यक्त की गयी एवं जिलाधिकारी ने अभिलेखीय एवं स्थलीय सत्यापन के उपरान्त परियोजना प्रबन्धक राजमणि को कड़ी चेतावनी देते हुए स्पष्ट कहा कि नियत समयसीमा में अवशेष कार्यों को पूर्ण कराकर अपने मुख्यालय से अवशेष धन की मांग करें एवं परियोजना का हस्तातरण सम्पन्न करायें। इसके बाद आवासीय परिसर जिला कारागार, के निरीक्षण में यह पाया गया कि टाइप-2 के कई भवन आधे-अधूरे छोड़ दिये गये हैं जो कि जर्जर हो गये हैं। इसके अतिरिक्त अनावासीय परिसर में भी कार्यदायी संस्था द्वारा जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है जिसके कारण परिसर में जल भराव होने एवं डी०पी०आर० में 30 बेडेड क्वारंटीन कक्ष का निर्माण न कराये जाने की बात संज्ञानित किये जाने पर जिलाधिकारी द्वारा कार्यदायी संस्था पर क्षोभ व्यक्त करते हुए निर्देशित किया गया कि यह सारी कमियां उनके विभागीय अधिकारियों एवं उनकी अव्यवस्थित एवं लापरवाह वर्कमैनशिप के कारण हुई हैं एवं वर्तमान सरकार की यह मंशा है कि परियोजना मानकानुसार निर्धारित समयान्तर्गत जनोपयोगी बने। परियोजना प्रबन्धक अपने विभाग के उच्चाधिकारियों से बात करें एवं सुनिश्चित करायें कि अनावासीय एवं आवासीय भवन गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण कराये जायें एवं जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी को निर्देश दिये गये कि सम्बन्धित से निर्माण कार्य की पत्रावली प्राप्त कर तत्काल पूरे प्रकरण से प्रमुख सचिव, गृह को अवगत कराया जाये। मुख्यमंत्री की घोषणा के अन्तर्गत राजकीय पॉलीटेक्निक हाजलपट्टी की स्थापना – निरीक्षण के समय मौके पर निर्माण कार्य की धीमी प्रगति देखकर जिलाधिकारी द्वारा मौके पर कार्यदायी संस्था की कार्यपद्धति एवं कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की गयी। परियोजना प्रबन्धक को निर्देश दिये गये कि यह कार्य मुख्यमंत्री की घोषणा के अन्तर्गत अति प्राथमिकता कार्यक्रम में शामिल है। इस कार्य का निर्माण कार्य अक्टूबर, 2022 में ही पूर्ण हो जाना था। मौके पर जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी द्वारा बताये जाने पर कि न तो कार्यदायी संस्था द्वारा पूर्व में अवमुक्त की गयी धनराशि का अब तक व्यय किया गया है और न ही निर्धारित समय में उपयोगिता प्रमाण पत्र आदि प्रेषित कर धनराशि की मांग की गयी जिसके कारण शासन स्तर से अवशेष धनराशि अवमुक्त किये जाने की मांगी ही की जा सकी। जिलाधिकारी द्वारा बार-बार समीक्षा बैठकों में कार्यदायी संस्था को निर्देश दिये गये कि कार्यदायी संस्था एवं उसके जिम्मेदार अधिकारियों का यह कृत्य शासन की मंशा के सर्वथा विपरीत है। यदि 15 दिन में अपेक्षित प्रगति परिलक्षित नहीं होती है तो कठोर कार्यवाही हेतु बाध्य होना पड़ेगा ।