आलापुर अंबेडकर नगर। तहसील क्षेत्र अंतर्गत घाघरा नदी के तट पर स्थित कम्हारिया श्मशान घाट का हाल बुरा है, यहां कई जिलों के लोग दाह संस्कार और अस्थि विसर्जन करने के लिए आते हैं। जिले का यह ऐसा श्मशान घाट है जहां दिनभर शव के अंतिम संस्कार के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है।लोग यह सोचकर अस्थि विसर्जन और दाह संस्कार करते हैं कि इस घाट पर करने से मृतक के आत्मा को शांति मिलेगी लेकिन यहां की अव्यवस्थाएं लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं।
पेयजल की असुविधा
इस घाट पर पीने योग्य पानी नहीं है। एक टूटा फूटा नल है जहां पर गंदगियों की भरमार है। किसी व्यक्ति को प्यास लगी है तो गंदगी देखकर पानी पीने का भी इच्छा नहीं करता। इसका गंदा जल सड़कों पर बहता रहता है।
बदहाल सड़क
मुख्य मार्ग से शमशान घाट जाने वाला मार्ग पूरी तरह से टूट गया है। इस पर चार पहिया वाहन की तो बात छोड़िए पैदल चलने में भी दिक्कत होती है। इस रास्ते से जनप्रतिनिधि भी आते जाते हैं लेकिन उन जनप्रतिनिधियों का ध्यान उस टूटी सड़क पर नहीं जाता। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
आस पास के जर्जर भवन
श्मशान घाट पर बने भवन जर्जर अवस्था में है। उनकी स्थिति देखकर ऐसा नहीं लगता है कि यह भवन कुछ साल पूर्व ही बनाए गए हैं। जो भवन बनाए गए हैं उनमें ना तो दरवाजे लगाए गए हैं और ना ही खिड़कियां लगाए गए हैं।
सफाई कर्मचारी नदारद
श्मशान घाट की साफ सफाई के लिए वहां पर लगाया गया सफाई कर्मचारी नदारद रहता है। उसकी अनुपस्थिति वहां की गंदगी साफ बयान करती है कि वहां पर साफ सफाई कभी भी नहीं होती।
इस घाट की दुर्दशा के विषय में स्थानीय लोगों ने बताया कि यह सरकारी घाट है जिसकी नीलामी लाखों रुपए में होती है इस इस घाट से सरकार को सालाना लाखों रुपए की आमदनी भी होती है इन सब के बावजूद भी यहां की स्थिति इस कदर है कि यदि किसी को दाह संस्कार ना करना हो तो भी कोई नहीं जाता है। इस घाट के लिए लाखों रुपए की रकम हर साल सुंदरीकरण के नाम पर आती है लेकिन वह कहां जाती है यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों ने बताया कि इस घाट पर कितने रुपए आए कितने रुपए कब कहां लगे इसकी जांच होनी चाहिए।