Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या वार-ऐंक्सस नही,बनें वार-एलर्ट, प्रोएक्टिव-माइंडसेट, करता है क्राइसिस -मैनेजमेंट

वार-ऐंक्सस नही,बनें वार-एलर्ट, प्रोएक्टिव-माइंडसेट, करता है क्राइसिस -मैनेजमेंट

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अयोध्या। युद्ध-मनोदशा के प्रति नागरिक-अंतर्दृस्टि में अभिवृद्धि व कौशल संचार  की रोल मॉडलिंग के लिये 7 मई को देश के विभिन्न हिस्सों में हवाई हमले के सायरन बजेंगे। इस आभासी जंगी अभ्यास में संयम व सतर्कता के साथ स्वस्थ व सम्यक मनोदशा का मुख्य योगदान है।

जंग की स्थिति मन में स्ट्रेस-हार्मोन कोर्टिसाल व एड्रेनलिन का संचार करती है जिससे फाइट,फ्लाइट या फ्रीज की मनोदशा बनने की सम्भावना होती है। सकारात्मक-आत्मबल के लोगों में आपदा से लड़ने का जज्बा रहता है जिसे फाइट मेंटल-मोड कहा जाता है। चिंतालु व्यक्तित्व के लोगों मे खतरे की स्थिति मे पलायनवादी मनोदशा हावी हो सकती है जिसे फ्लाइट मेंटल-मोड कहा जाता है। इन्ही में से कुछ लोग खतरे की आहट से शून्य की मनोदशा में जा सकते हैं  जिसे फ्रीज़ मेंटल-मोड  कहा जाता है।

डा आलोक मनदर्शन

सुझाव :  जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार जंग जैसे हालात में आमजन मे जंग- अनुकूल व्यवहार का कौशल माक-रिहर्सल से संचारित होता है । साथ ही देश-प्रेम के मनोभाव प्रेरित करने वाले हार्मोन ऑक्सीटोसिन व साहस  से ओतप्रोत करने वाले हार्मोन इंडॉर्फिन व डोपामिन का संचार होता है। इस प्रकार ऐसे आपात अभ्यास से नागरिकों में युद्ध-अंतर्दृष्टि का विकास होता है। मूड-स्टेबलाइज़र हार्मोंन सेराटोनिन के संवर्धन के लिये माइंडफुलनेस व मेडिटेशन के अभ्यास के साथ उत्पादक क्रिया कलापों में व्यस्त रहें । अच्छी नींद के साथ स्वस्थ, सतर्क व संयमित दिनचर्या पर फोकस करते करते हुए अफवाह भरी सोशल मीडिया संदेशो को हतोत्साहित करें तथा  सकारात्मक सोशल सपोर्ट का आदान प्रदान करें ।

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