अंबेडकर नगर । आचार्य हरिहरनाथ मिश्र का दिवंगत होना न केवल भारतीयता की पहचान के एक स्तम्भ की कमी तुल्य है वरन आधुनिक व प्राच्य वैयाकरणों में पाणिनि की हुई रिक्ति है।जिसकी भरपाई आनेवाले समय में भी होनी मुश्किल है।”ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ के थिंक टैंक माने जाने वाले प्रख्यात चिन्तक व विचारक के एन गोविन्दाचार्य के शिष्य ओम जी महाराज ने व्यक्त किये।
ध्यातव्य है कि प्रख्यात संस्कृत विद्वान व विश्व संस्कृत सम्मेलन,1956 के विजेता आचार्य हरिहर नाथ मिश्र का विगत माह 24 दिसंबर को वेन हैमरेज व पक्षाघात के चलते 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।आचार्य हरिहर जीवनपर्यंत भारतीय संस्कृति के पोषक के साथ ही साथ स्वयम उन्हीं जीवनमूल्यों का अपने जीवन में अनुपालन करते थे।उनके पांडित्य का लोहा त्रिनिनाद टोबैको ,मॉरीशस,नेपाल,सेशेल्स सहित दुनियां के विभिन्न भागों में रहने वाले राजनेता व विद्वतपरिषद मानती थी।
गौरतलब है कि संस्कृत के महाकवि बाणभट्ट,वात्सायन,भारवि जैसे वंश में उत्तपन्न महान संत पौहारी जी महाराज की छठवीं पीढ़ी में जन्म लेने वाले आचार्य हरिहर त्रिभुवन विश्व विद्यालय नेपाल,डी ए वी कॉलेज,कानपुर,संस्कृत महाविद्यालय, परमट,कानपुर आदि संस्थाओं में अपना योगदान देते हुए जिले के पण्डित जवाहरलाल नेहरू इंटर कॉलेज,जवाहर नगर,आदमपुर के संस्थापक सदस्यों में प्रमुख थे।इतना ही नहीं जीवनपर्यंत श्री लल्लन जी महाराज इंटर कॉलेज,भरतपुर सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े आचार्य हरिहर के तीन पुत्रों में सबसे बड़े ज्ञानसागर मिश्र सम्प्रति स्कूल ऑफ एक्ससलेंस,दिल्ली में व्याख्याता होने के साथ ही साथ नेशनल अवार्डी व प्रतिष्ठित इंदिरा पुरस्कार प्राप्त हैं जबकि मझले पुत्र उदयराज मिश्र स्वयम नेशनल अवार्डी होने के साथ-साथ जानेमाने साहित्यकार शिक्षक व सबसे छोटे पुत्र भी गोरखपुर में परिषदीय विद्यालय में शिक्षक हैं।
ओम जी के साथ भाजपा की जिला उपाध्यक्ष सुमन पांडेय,मण्डल अध्यक्ष मंजू मिश्र व संघ विस्तारक प्रत्यूष त्रिपाठी आदि ने भी घर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित किया।