Saturday, November 23, 2024
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पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई नेता जी 126 वीं जयंती

Ayodhya Samachar

अंबेडकर नगर। बी.एन. के.बी.महाविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी का दिन ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया गया।

 महाविद्यालय के छात्र-छत्राओं ने मानव श्रृंखला भी बनाई।  इस मौके पर  महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. शुचिता पाण्डेय, छात्र कल्याण अधिकारी प्रो. सत्यप्रकाश त्रिपाठी, मुख्य वक्ता डॉ. कमल त्रिपाठी, सांस्कृतिक परिषद सचिव वागीश शुक्ल समेत महाविद्यालय के सभी शिक्षकगण ने नेता जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको नमन किया।

इस अवसर पर प्रो.शुचिता पांडेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि  छात्र- छात्राओं के बीच नेताजी की व्यक्तित्व की विराटता पर प्रकाश डालते हुए उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की सार्थकता बताई ,साथ ही बच्चों को नेताजी के सपनों का भारत बनाने के लिए देश की प्रगति में आगे आने का आह्वान किया| आगे कहा कि भारत को ब्रिटिश राज से आजाद करने के लिए, 1944 में, आई एन ए ने इंफाल और कोहिमा के रास्ते से भारत में आने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। इस अभियान में आई एन ए के सदस्यों को कैद कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया, लेकिन इस घटना ने भी देशवासियों में जोश भरने के काम किया, लोग घरों से निकले और आजाद हिंद फौज के सैनिकों की रिहाई और उनपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। आजाद हिंद फौज का ‘दिल्ली चलो’ का नारा और सलाम ‘जय हिंद’ सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा स्त्रोत था।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ कमल त्रिपाठी ने छात्रों को नेता जी के व्यक्तित्व से सीखने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। नेताजी के जीवन का उदाहरण देते हुए उनकी तरह अपने सपनों के लिए दृढ़ और साहसी होने की बात कही।

 महाविद्यालय की छात्रा मधु त्रिपाठी ने गीत के माध्यम से नेताजी को शब्दांजलि अर्पित की। सांस्कृतिक परिषद के सचिव वागीश शुक्ल ने छात्रों से जीवन के हर कदम पर खुद पर विश्वास रखते हुए आगे बढ़ने का मंत्र दिया , उन्होंने कहा कि अगर जीवन में गिरो तो बीज की तरह ताकि फिर से उग सको,उगना सूरज की तरह ताकि हर अंधियारा मिटा सको, टूटना तो तारे की तरह ताकि किसी की दुआ की उम्मीद बन सको और डूबना तो गोताखोर की तरह ताकि समंदर से मोती ला सको।

इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षकगण,कर्मचारीगण, एन. सी. सी. के कैडेट, एन. एस. एस. के स्वयंसेवक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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