अयोध्या। पीरियड-टाइमलाइन के कुछ दिन पूर्व से ही अनमनी-मनोस्थिति बनती है जिसे प्री-पीरियड डिस्फोरिया या पीरियड-पूर्व मनोदंश कहा जाता है। यह बाते वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल-हाइजीन दिवस 28 मई की पूर्व संध्या पर डा आलोक मनदर्शन ने कही। डा. मनदर्शन के अनुसार चिंतालु व्यक्तित्व तथा मनोसामाजिक, अकादमिक , कैरियर , प्रोफेशनल व पारिवारिक तनाव से ग्रसित महिलाओं में प्री-पीरियड डिस्फोरिया होने की संभावना ज्यादा होती है तथा इसकी तीव्रता किशोरियो मे अधिक होती है। इसे पीरियड-एंग्जाइटी भी कहा जाता है। हार्मोन एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन तथा मनोरसायन सेराटोनिन व डोपामिन के स्तर में उतार-चढ़ाव इसके लिये जिम्मेदार है।
उन्होंने बताया कि इसके लक्षणों में अवसाद, उदासी, हताशा, रुलाई आना, आत्मघाती विचार, घबड़ाहट,क्रोध या चिड़चिड़ापन, चिंतित रहना, मूड स्विंग, अनिद्रा, भूख का अनियमित होना, आत्म विश्वास मे कमी है। उन्होंने बताया कि मेंस्ट्रूअल हाइजीन के साथ ही पीरियड से जुड़ी भावनात्मक व मानसिक समस्याओं के प्रति परिवार, स्कूल तथा कार्यस्थल में जागरूकता व संवेदीकरण पीरियड- फ्रेंडली होने मे अहम है। सेल्फ मेनेजमेंट न कर पाने की स्थिति में खुलकर बात करने व मनोपरामर्श लेना लाभप्रद होता है। हैप्पी हार्मोन सेराटोनिन व डोपामिन बढ़ाने वाली दिनचर्या जैसे खुशमिजाजी , सामाजिक समरसता, योगा, ध्यान, एक्सरसाइज, रचनात्मक क्रिया कलाप, आठ घंटे की नींद, पैस्टिक आहार, मसाज व हॉबी मनोरंजन आदि लाभकारी होते है। 28-मई का दिन पीरियड-पैटर्न का प्रतीकात्मक टाइमलाइन है क्योंकि मई साल का 5 वां माह होता है और पीरियड- काल 5 दिनों का तथा पीरियड-चक्र 28 दिन का होता है।