अयोध्या। रामनगरी से चित्रकूट की यात्रा का उल्लेख भारतीय महाकाव्य रामायण में आता है। भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष वनवास के लिए राजा दशरथ की आज्ञा के पालन हेतु जाते है। इस दौरान, अयोध्या में महाराज दशरथ का निधन हो जाता है, और भरत को श्रीराम को वापस अयोध्या लाने की भावना से चित्रकूट तक जाते है। इसी यात्रा के प्रतीकात्मक स्वरूप में विगत 50 वर्षों से अयोध्या से भरत यात्रा चित्रकूट तक जाती है। यात्रा की शुरूआत अयोध्या के साकेतवासी संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने किया था। छोटी छावनी के महंत नृत्य गोपाल जी महराज द्वारा प्रत्येक वर्ष यह यात्रा निकाली जाती है।
रविवार को इस वर्ष की यात्रा रामनगरी से चित्रकूट के लिए महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास के नेतृत्व में निकली। यात्रा के साथ अयोध्या के साधू-संत, श्रद्धालुओं शंख की मंगल ध्वनि के मध्य राम भजन गाते हुए चित्रकूट की ओर रवाना हुए।
महंत कमल नयन दास ने बताया कि भगवान राम तथा प्रेममूर्ति भरत जी के प्रेम को जन-जन पहुंचाने के लिए, परिवार तथा समाज में प्रेम भाव किस प्रकार हो इसकी प्रेरणा देने के लिए भरत यात्रा निकाली जाती है। उन्होंने बताया कि 20 नवबंर को चित्रकूट में भरत मिलाप कार्यक्रम आयोजित होगा।
पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने बताया कि भरत जी को धर्म धुरी के रूप में जाना जाता है। भरत के प्रेम का संदेश समाज को देने के लिए भरत यात्रा को आयोजन किया जाता है। यात्रा में बड़ी संख्या में अयोध्या के साधू-संत, श्रद्धालु चित्रकूट के लिए रवाना हुए।