अयोध्या। बढ़ता मनोतनाव तेजी से बढ़ रहे अनिद्रा या अतिनिद्रा का कारण बनता जा रहा है। स्ट्रेस या मनोदबाव का सकारात्मक प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले लेता है जिसे डिस्ट्रेस या अवसाद कहा जाता है। जिससे उलझन, बेचैनी, घबराहट अनिद्रा या अतिनिद्रा के लक्षण दिखायी पड़ते हैं जिसे स्लीप डिसऑर्डर डिसऑर्डर कहते हैं जिसके दो रूप अतिनिद्रा या हाइपर सोमनिआ तथा अल्पनिद्रा या हाइपो सोमनिया कहा जाता है।
स्लीप डिसऑर्डर से पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली दुष्प्रभावित होती है। आलस्य, मोटापा, सरदर्द, नींद में चलना व बड़बड़ भी हो सकती है। यह बातें परमहंस पी जी कॉलेज में सिफ्प्सा प्रायोजित क्यू क्लब में आयोजित स्लीप मैनेजमेंट व पर्सनालिटी डेवलपमेंट कार्यशाला मे जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा० आलोक मनदर्शन द्वारा कही गयी।
अतिनिद्रा या अनिद्रा एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। अतिनिद्रा या ज्यादा नींद आना या दिन के वक़्त भी निद्रा या आलस्य का महसूस होना भी आसामान्य है। अतिनिद्रा या अनिद्रा एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहेंगे । यह जीवन चर्या हैप्पीट्यूड कहलाती है जिससे मनोशारीरिक तथा भावनात्मक रोगों से बचाव सम्भव है। कार्यशाला की अध्यक्षता प्राचार्य डा सुनील तिवारी तथा संयोजन डा अमरजीत तथा धन्यवाद ज्ञापन डा सुधांशु पांडेय ने दिया।