अयोध्या। असामान्य उलझन या घबराहट का प्रबन्धन न होने पर मनोशारीरिक दुष्प्रभाव होने लगता है जिसे एंग्जायटी डिसऑर्डर या चिंता मनोविकार कहा जाता है जिसमे बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं। पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है । एंग्जाइटी डिसऑेडर में शरीर में कार्टिसाल व एड्रेनिल हॉर्मोन बढ़ जाता है जिससे चिंता, घबराहट, एडिक्टिव इटिंग,आलस्य, मोटापा, अनिद्रा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है । यह बातें राजा मोहन मनुचा गर्ल्स डिग्री कॉलेज मे राष्ट्रीय सेवा योजना प्रायोजित स्ट्रेस एंड क्वालिटी ऑफ लाइफ विषयक कार्यशाला में डा० आलोक मनदर्शन ने कही ।
ए टाइप या एंक्शस पर्सनालिटी के लोगों मे एंग्जायटी डिसऑडर होने की संभावना अधिक होती है । इनका मन हर वक़्त अनचाहे विचारों व मनोभावों से घिरा रहता है तथा इनमें शक्कीपन व आत्मविश्वास की कमी भी होती है जिससे ये किसी कार्य को बार बार अनावश्यक दोहराने के लिये भी बाध्य हो सकतें हैं।इसका दुष्प्रभाव शरीर पर भी पड़ता है । स्वस्थ मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं । यह जीवन चर्या हैप्पीट्यूड कहलाती है।कार्यशाला में प्रतिभागियों के संशय व सवालों का समाधान किया गया। अध्यक्षता प्रोफेसर मंजूषा मिश्रा व समन्वय डा सुषमा पाठक ने किया ।