अयोध्या। श्रीराम वेद विद्यालय कारसेवकपुरम् में गुरूपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर भगवा ध्वज को प्रणाम कर गुरु पूजन पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। पूजन कार्यक्रम में उपस्थित वेद वटुको का मार्गदर्शन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय ने किया। उन्होंने कहा कि गुरू पूजन परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। हमारे जन्मदात्री मां हमारी प्रथम गुरू, इसी प्रकार जीवन की ज्यों ज्यो प्रगति होती जाती है। हमारे जीवन में गुरु की संख्या में वृद्धि होती है। हम अकेले कुछ नही कर सकते हमे गुरु की आवश्यक्ता पड़ती है। जिनसे हमने कुछ सीखा है,उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारा दायित्व है।
उन्होने कहा कि संघ का कार्य जब प्रारंभ हुआ तो गुरू बनाने का मंथन प्रारंभ हुआ। मनुष्य में अनेक प्रकार के दोष किसी भी प्रकार से उत्पन्न हो सकते है। महाभारत सहित अनके ग्रंथ भरे पड़े हैं जिसमें विकार उत्पन्न हुये। इतनी बड़ी संस्था में गुरु कौन हो। इस पर मनीषियों ने चिंतन किया तब 100पूर्व त्याग वृति की भावना यानि भगवा जो त्याग का प्रतीक है,सामान्यता त्याग का प्रतीक, सूर्य उदय का प्रतीक तेजस्वीता का प्रतीक, अग्नि की रंग का प्रतीक भी भगवा, भगवान श्रीकृष्ण के रथ के ऊपर की पताका का रंग भी भगवा है।
उन्होने कहा कि इन सभी पर चिंतन करने के पश्चात संघ ने भगवा को अपना गुरु माना,यह हमें त्याग समर्पण और तेजस्वीता की प्रेरणा देता है। पूजन में हम व्यक्ति को प्रणाम नही करते हमे प्रेरणा देने वाले भगवा को प्रणाम करते हैं। अपने समस्त विकारों को समाप्त त्याग करने की प्रेरणा तेजस्वीता के साथ समाज की सेवा करने की प्रेरणा देने वाले भगवा ध्वज का पूजन हमारा धर्म है। हम सेवा समर्पण की भावना से कार्य करें यही इस गुरु पूजन का उद्देश्य है।यह मात्र कपड़े का टुकड़ा नही है।यह समाज के प्रतीक के रूप में है। जो सदैव प्रेरक है। इस दौरान महानगर संघचालक विक्रमा पांडेय, शरद शर्मा, प्रधानाचार्य इंद्रदेव मिश्र, आचार्य श्रृशभ शर्मा, आचार्य दुर्गा प्रसाद गौतम, आचार्य मुकेश, आचार्या प्रतिमा, प्रो सुमधुर, सहनगर कार्यवाह सूरज, अशोक सिंहल नगर कार्यवाह संदीप,अभिषेक शास्त्री आदि उपस्थित रहे।