अयोध्या, 7 फरवरी। बढ़ता मनोतनाव तेजी से बढ़ रहे मनोशारीरिक बीमारियों या साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर का कारण बनता जा रहा है। स्ट्रेस या मनोदबाव का सकारात्मक प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले लेता है जिसे डिस्ट्रेस या अवसाद कहा जाता है। जिससे उलझन, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं जिसे साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर कहते हैं । क्या है साइकोसोमैटिक या मनोशारीरिक रोग : मनोशारीरिक बीमारियों के लक्षण तो शारीरिक होते हैं, पर उसका मूल कारण मेन्टल स्ट्रेस या मनोतनाव होता है । पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है, मनोवैज्ञानिक उपचार के बिना इनका स्थायी इलाज नहीं हो सकता । मेन्टल स्ट्रेस से कार्टिसाल व एड्रेनिल हॉर्मोन बढ़ जाता है, जिससे चिंता, घबराहट, एडिक्टिव इटिंग,आलस्य, मोटापा, अनिद्रा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है । यह बातें टाइनी टॉट्स ग्रुप ऑफ स्कूल की सहादतगंज शाखा में “स्ट्रेस मैनेजमेंट व इमोशनल हेल्थ तथा बिहेवियर मैनेजमेंट एवं लाइफ स्किल विषयक कार्यशाला में मौजूद मुख्य अतिथि जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा० आलोक मनदर्शन द्वारा कही गयी ।
मन स्वस्थ तो तन स्वस्थ । मन के प्रत्येक भाव पीड़ा, तनाव, सुख, आनन्द, भय, क्रोध, चिंता, द्वन्द व कुंठा आदि का सीधा प्रभाव शरीर पर पड़ता है । चिंता व घबराहट यदि एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें । स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहेंगे । यह जीवन चर्या हैप्पीट्यूड कहलाती है जिससे मनोशारीरिक तथा भावनात्मक रोगों से बचाव सम्भव है ।
इस कार्यशाला में कक्षा 6 से 8 के छात्र छात्राओं के लिए बिहेवियर मैनेजमेंट एवं लाइफ स्किल तथा कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट एवं इमोशनल हेल्थ के विषय पर प्रकाश डाला गया। प्रतिभागियों के संशय व सवालों का समाधान भी किया गया जिसमें स्कूल की निर्देशिका श्रीमती बिन्नी सिंह जी, प्रधानाचार्य श्री आशुतोष रस्तोगी जी समस्त छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक- शिक्षिकाएं उपस्थित धे। कार्यक्रम के अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा मुख्य अतिथि को अपना अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद दिया गया।
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