◆ विभिन्न मूर्तिकारों द्वारा बताई गई प्रतिमा के चित्रों को कम्प्यूटर पर किया गया मिश्रित


◆ प्रयास किया जा है कि 9 फिट के दरवाजे से 35 फिट दूर से देखने पर दिखे प्रतिमा का स्वरुप


अयोध्या, 30 जनवरी। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में गर्भ ग्रहण में भगवान राम की प्रतिमा के स्वरुप पर गहनता से विचार किया गया। विभिन्न मूर्तिकारों के द्वारा भेजे गये प्रतिमा के स्वरुप को मिश्रित करके कम्प्यूटर में सर्वश्रेष्ठ स्वरुप देने का प्रयास किया गया। राममंदिर गर्भग्रह में स्थित 9 फिट के दरवाजे से 35 फिट दूर स्थित श्रद्धालु को भगवान की प्रतिमा स्पष्ट दिखाई दे इसका प्रयास किया जा रहा है।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने बताया कि राममंदिर के गर्भग्रहण में रामलला की प्रतिमा का स्वरुप कैसा हो। इसको लेकर अनेक लोगो ने चित्र बनाकर भेजा। इन चित्रों का कम्पयूटर तुलनात्मक अध्ययन किया गया। सभी के स्वरुप में भगवान का कौन सा अंग किसने द्वारा अच्छा बनाया गया है। यह भगवान के पांच वर्षीय बालक स्वरुप की प्रतिमा होगी। इसके साथ अन्य चीजों पर विचार किया गया जिसमें पैरो में खड़ाऊ होनी चाहिए या नहीं इस तरह की चीजें भी शामिल थी। भगवान की पुत्र के रुप पूजा होगी और बालक की होगी। प्रतिमा की उंचाई क्या हो। दरवाजे की उंचाई 9 फिट 1 इंच है। प्रतिमा इस दरवाजे से दिखनी चाहिए। कम से कम 35 फिट दूर से देखने पर कितनी उंची प्रतिमा का आंख व चरण दिखाई देगा। इसके उपर चर्चा की गयी। यह चर्चा का सत्र था। केवल मूर्ति पर चर्चा की गयी। उड़ीसा कर्नाटक, मध्य प्रदेश से पत्थर आ रहा है। जिसको मूर्तिकार तय करेंगे कि कहां का पत्थर अच्छा है। बैठक में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी समेत जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती, ट्रस्टी अनिल मिश्र, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र शामिल रहे। बैठक में पहली बार निर्माण समिति के सदस्य शत्रुहन सिंह भी शामिल हुए। इसके अलावा राम जन्मभूमि के सुरक्षा सलाहकार केके शर्मा व सीएजी के अधिकारी आशुतोष शर्मा बैठक में ऑनलाइन जुड़े हुए थे।