अयोध्या, 14 दिसम्बर। अवध विश्वविद्यालय के ललित कला (फाईन आर्ट्स) विभाग तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे बुधवार को मुख्य शोध परियोजना मे लघु शोध प्रबंध का महत्व विषयक पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बी0एच0यू0 वाराणसी, फाईन आर्ट्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 आर0 एन0 मिश्रा ने बताया कि लघु शोध प्रबंध शोधार्थियों के लिए व्यापक शोध का आधार होता है। इसमें शोद्यार्थी द्वारा शोध की समस्या, परिकल्पना एवं शोध उद्देश्य के साथ कलात्मक क्षेत्र में कलाकारो के जीवन वृतान्त को रखना होता है। उन्होंने बताया कि इससे विभिन्न प्रकार के कलात्मक सृजन शीलता में स्वरूप देने में आसानी होती है। साथ ही नई-नई तकनीक के प्रयोग एवं स्वरूपों को विकसित किया जाता है। उन्होंने बताया कि लघु शोध प्रबंध की तैयारी कर रहे शोधार्थियों के लिए यह प्रथम सोपान है जिसके कारण शोधार्थी आगे चलकर शोध के विविध प्राचलों के माध्यम से गुणात्मक शोधकार्य करने में सफल होते है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विभाग के प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने छात्र-छात्रओं को शोध कार्य के लिए शोध पद्धति एवं परिकल्पना की जॉच की तकनीक से अवगत कराया। उन्होंने शोद्यार्थियों को शोध समस्या के निराकरण के लिए विभिन्न प्रविधि पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की संयोजिका फाईन आर्ट्स विभाग की डॉ0 सरिता द्विवेदी ने छात्र-छात्राओं को कला के क्षेत्र में शोध की महत्ता एवं शोध साहित्य के पुनरावलोकन से अवगत कराया। उन्होंने सदर्भ ग्रन्थसूची के अवलोकन हेतु विभिन्न स्रोत्रो से छात्र-छात्राओं को परिचित कराया। इसके अतिरिक्त शोध के क्षेत्र में तथ्यपरक, गुणात्मक शोधकार्य करते हुए कलात्मक स्वरूप को ओर विकसित कर सकेंगे। फाईन आर्ट्स विकास के समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शोधार्थियो मे व्यापक सोच विकसित करने के लिए शोध आधारित विशिष्ट व्याख्यानो का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शोधार्थियों को अच्छे शोध कार्य के लिए उत्प्रेरित किया गया। इस व्याख्यान में फाईन आर्ट्स विभाग के पाँच छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें शोधार्थी अनीता ने अपर्णा कौर की कला यात्रा एवं चित्रण प्रक्रिया, निधि चौबे ने अर्पिता सिंह की कलायात्रा, आलोक सिंह ने प्रकृति एकमेक कलाकार प्रोफेसर वेद नायर, सुनाली सिंह ने कृष्णा रेड्डी का चिपचिपाहट प्रक्रिया तथा श्वेता वर्मा ने कविता नायर की कलाकृत्तियों का विवेचन पर शोध प्रपत्र प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया, तत्पश्चात छात्र-छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। विभाग की डॉ0 सरिता द्विवेदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस अवसर प्रो0 मृदुला मिश्रा, डॉ0 प्रिया कुमारी, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, श्रीमती रीमा सिंह, श्रीमती कविता पाठक, गैर शैक्षणिक कार्यचारी विजय कुमार शुक्ला, शिव शंकर यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।