23 Sep 2015 फैजाबाद। विशà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚ परिषद के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° संगठन मंतà¥à¤°à¥€ रास बिहारी ने मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के इस निरà¥à¤£à¤¯ बकरीद पर à¤à¥€ गौहतà¥à¤¯à¤¾ पर से पाबंदी नहीं हटेगी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा बकरीद मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® है। उनके धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस दिन उनको अपनी सबसे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ देनी होती है; परनà¥à¤¤à¥ अब उनमें बकरे की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ देने की परंपरा सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ है। इसीलिठइसको बकरीद à¤à¥€ कहा जाने लगा है; परनà¥à¤¤à¥ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठकà¥à¤› मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देशों में इस परंपरा में कà¥à¤› सीमाà¤à¤‚ लगाई हैं जिससे मानव पशॠका संतà¥à¤²à¤¨ बचाया जा सके। गाय जिसको समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिनà¥à¤¦à¥ समाज माता के रूप में पूजता है तथा जिसकी रकà¥à¤·à¤¾ के लिठवह अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ बलिदान करता रहा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसकी रकà¥à¤·à¤¾ करना वह अपना धारà¥à¤®à¤¿à¤• करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ मानता है। गाय की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ करना किसी à¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देश का मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ अपना अधिकार नहीं मानता। परनà¥à¤¤à¥ दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज का à¤à¤• वरà¥à¤— इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ की अवहेलना कर गौहतà¥à¤¯à¤¾ को अपना अधिकार मानता है और बकरीद के दिन गऊ माता की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ कर हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को आहत करता है। इसके लिठवे à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾, संविधान, परंपराओं से टकराने के लिठकिसी à¤à¥€ सीमा तक जाता है। विशà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚ परिषद इस मानसिकता की घोर à¤à¤¤à¥à¤°à¥à¤¸à¤¨à¤¾ करता है।
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