अयोध्या। अवध इंटेरनेशनल स्कूल मे आयोजित नववर्ष-जनित जन-मनोप्रभाव विषयक कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कहा कि कार्य स्थल की मनोथकान व तनाव का असर अनिद्रा, सर दर्द, चिड़चिड़ापन,उलझन, बेचैनी,एकाग्रता में कमी, थकान व पेट की खराबी, हृदय की आसामान्य धड़कन, मधुमेह व उच्च रक्तचाप आदि के रूप में दिखायी पड़ सकता है। नव वर्ष संदर्भित विंटर वेकेशन की छुट्टियों की सैर सपाटा व मनरंजन इस मनोथकान को दूरकर मन मस्तिष्क को तरो ताजा कर देता है।
नववर्ष के आगमन के साथ मनोरासायनिक बदलाव होने शुरु हो जाते है,जिसके सकारात्मक मनोप्रभाव होते हैं। विंटर वेकेशन की मौज मस्ती व खूबसूरत प्राकृतिक सहचर्या से संवर्धित होने वाला मनोरसायन सेरोटोनिन मूड-स्टेबलाइज़र का कार्य करते हुए शीत ऋतु में सूर्य की रोशनी व धूप की कमी से होने वाले सीजनल- अफेक्टिव-डिसऑर्डर या शीत-ऋतु जनित अवसाद अथवा विंटर-डिप्रेशन से बचाने व उबारने में सहायक होता है। न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरी दुनिया में नये जोश व जज्बे का भाव पैदा करता है, जिससे साइकिक पेन रिलीवर हार्मोंन इंदौरफिन में बढ़ोत्तरी होती है। खास परिधान व सेल्फ ग्रूमिंग,परिजनों संग नृत्य व खान-पान आदि से रिवॉर्ड-हार्मोन डोपामिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन में वृद्धि से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है, जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में मेंटल-यूफोरिया कहा जाता है। शुभकामना सन्देश व उपहार आदि का आदान प्रदान भी हैप्पी हार्मोन का संचार करता है, जिससे खुशहाली की मनोदशा में बढ़ोत्तरी होती है। इस प्रकार नव-वर्ष जनित हैप्पी-हार्मोन के मनोउत्सर्जन से तनाव,अवसाद व चिंता विकार के लिये जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसाल में कमी व खुशनुमा हार्मोन में बढ़ोत्तरी होती है।