◆ 2024 में हाथी की धीमी रफ्तार तो 2019 के चुनाव में मिले मतों की गुणा गणित लगाकर भाजपा व सपा दोनों के ही समर्थक जीतने का ठोक रहे हैं दावा
✍ सुभाष गुप्ता
अंबेडकर नगर। जनपद में शनिवार की देर शाम तक हुए मतदान के बाद जीत हार के कयास ने रफ्तार पकड़ ली है। तीन दशकों से बसपा का गढ़ रहे पहले अकबरपुर सुरक्षित अब अंबेडकर नगर संसदीय सीट पर 2024 में हाथी की धीमी रफ्तार से कमल खिलेगा या साइकिल दौड़ेगी इसका फैसला आगामी चार जून को ही पता चलेगा।जनपद में जहां पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए शाम 6:00 बजे तक मतदान का अनुमानित प्रतिशत 61. 58 फुसदी रहा।
वहीं कुछ स्थानों पर 7:00 बजे तक वोटिंग एवं बैलेट मत पत्रों की गिनती होने के बाद यह आंकड़ा 63% तक पहुंचने का अनुमान है। बढ़े हुए मतदान को भाजपा और सपा जहां अपने लिए फायदेमंद मान रहे हैं। वही बसपा की सबसे मजबूत किले के रूप में पहचान बना चुकी अंबेडकर नगर की सीट उसके कार्यकर्ता की खामोशी को देखते हुए बसपा के इस किले के ढ़हने के कयास लगाये जाने लगे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी को माने तो इस बार मुस्लिम मतदाता जातिगत प्रत्याशी को महत्व न देते हुए भाजपा को हराने के लिए सपा के साथ चले गए हैं।तो बसपा के वोट बैंक के रूप में माने जाने वाले दलित मतदाताओं में भी बिखराव हुआ है। कही संविधान बचाने के बहकावे में एवं कही सरकारी योजनाओं का मिले लाभ को लेकर दलित मतदाताओ के सपा व भाजपा में जाने की चर्चा है।
यदि ऐसा हुआ तो इस सीट पर बसपा की स्थिति का डावांडोल होना निश्चित है।अगर बसपा की स्थिति डावांडोल होती है तो इस सीट पर सीधी लड़ाई भाजपा व सपा में बीच कांटे की होने का अनुमान है। इस सीट पर हुए 2019 के चुनाव में मिले पार्टी गत व जातिगत मतों की चर्चा को लेकर इस बार के चुनाव परिणाम पर हो रही चर्चा पर गौर करें तो कभी बीजेपी का पलड़ा भरी हो रहा तो कभी सपा भारी पड़ती नजर आ रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव को सपा और बसपा में हुए गठबंधन से बसपा के टिकट पर रितेश पांडे ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार सपा बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।जिसे भाजपा अपने लिए राहत की बात मान रही है। वहीं पिछली बार के हुए चुनाव में सपा बसपा के परंपरागत मतो के साथ भाजपा का मूल वोटर माना जाने वाला ब्राह्मण समाज भी काफी संख्या में सपा बसपा गठबंधन के साथ था। जिसको मिलाकर सपा बसपा गठबंधन ने कुल 564118 प्राप्त कर भाजपा को 95880 वोटो से पराजित किया था।
वहीं से छोटी पार्टियों समर्थित व निर्दल प्रत्याशियों के रूप में कुल 9 अन्य प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में थे।जिन्हें 46442 मत प्राप्त हुआ था।इस बार गठबंधन वाली दोनों ही पार्टियो के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि बसपा को जो मत मिलेगा, उससे सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लालजी वर्मा को हो रहा है। वहीं कुछ लोग बसपा का कम मत मिलना भी सपा के लिए नुकसानदायक बता रहें हैं।तो कुछ लोग पिछले चुनाव में भाजपा को मिले कुर्मी मतो एवं स्थानीय विभेद एवं राजा भैया के हाल ही में सपा से बड़ी नजदीकी को लेकर क्षत्रिय समाज के सपा में जाने की बात कर सपा की स्थिति को मजबूत बता रहे है। जबकि भाजपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी लोगों के द्वारा तर्क दिए जा रहे हैं। भाजपा की स्थिति को मजबूत बताते हुए कुछ लोगों के द्वारा दिए जा रहे तर्कों पर गौर करें तो कुछ लोग सपा बसपा गठबंधन से ब्राह्मण प्रत्याशी होने के कारण पिछली बार सपा बसपा गठबंधन को मिले ब्राह्मण मतों के भाजपा में वापसी एवं मोदी योगी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के चलते अति पिछड़े एवं दलित मतो के भाजपा को वोट करने से भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे की स्थिति मजबूत बता जीत का दावा कर रहे हैं। फिलहाल वर्तमान समय में चुनाव के बाद राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा चल रही उससे इतना तय माना जा रहा है कि यहां इस बार बसपा के मजबूत किले उसके ही सिपहसालार रहे वर्तमान सांसद रीतेश पांडे व बसपा सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे जनपद के कटेहरी विधानसभा से वर्तमान विधायक लाल जी वर्मा दोनों में से किसी एक के हाथों ढ़हना निश्चित है। अब इसका श्रेय भाजपा के रितेश पांडे लेते हैं या सपा के लालजी वर्मा को मिलता है। यह 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल पायेगा।