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कौन होगा अगला भाजपा महानगर अध्यक्ष, क्या कहते है समीकरण

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◆ अयोध्या होने की वजह से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है भाजपा में महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी


◆ कई पार्टी नेता कर रहे है महानगर अध्यक्ष की दावेदारी, पार्टी में चल रहा है संगठनात्मक चुनाव


अयोध्या। भाजपा में इस समय संगठनात्मक चुनाव चल रहे है। अगला महानगर अध्यक्ष कौन होगा। इसकी ओर पार्टी ही नहीं दूसरे दलों के नेताओं की निगाह टिकी है। अयोध्या होने की वजह से यहां के महानगर अध्यक्ष पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां दर्शन करने के लिए पूरे देश से वीवीआईपी आते है। संगठन स्तर पर वह महानगर अध्यक्ष के सम्पर्क में आते है।
भाजपा का अयोध्या महानगर में संगठनात्मक ढांचा काफी मजबूत है। पार्टी इस मजबूती और बढ़ाने के साथ इसमें समाजिक समरस्ता भी शामिल करना चाहेगी। भाजपा जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष में अगल- अलग वर्गो को प्राथमिकता दी जाएगी। इस कारण से दोनो का मनोनयन करते समय पार्टी इस बात का खास तौर पर ख्याल रखेगी। इस समय महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी कमलेश श्रीवास्तव सम्भाल रहे है। वह इससे पहले भी महानगर अध्यक्ष रह चुके है। निर्विवाद छवि के चलते उनको दोबारा कुसी मिलने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। महानगर अध्यक्ष के अन्य रेस में शामिल लोगो में पूर्व महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा, भाजपा महानगर मीडिया प्रभारी दिवाकर सिंह, परमानंद मिश्रा, शैलेन्द्र कोरी, तिलकराम मौर्या, डा राकेश मणि त्रिपाठी, हरभजन गौड़, अरविंद सिंह, दिनेश मिश्रा, हरीश श्रीवास्तव का नाम शामिल है।
पूर्व महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा इससे पहले भी भाजपा में कई पदों पर रह चुके है। जिनको लेकर भी चर्चाएं है। वहीं भाजपा महानगर मीडिया प्रभारी दिवाकर सिंह की गिनती पार्टी के काफी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में होती है। विगत दो दशकों से मीडिया का कार्य देख रहे है। मीडिया का काम देखने के कारण वह पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता व जनप्रतिनिधि लगातार उनके सम्पर्क में रहते है। यह उनके पक्ष में जाता है। वहीं भाजपा का नेतृत्व की निगाह भी महानगर अध्यक्ष अयोध्या को लेकर रहेगी। संगठनात्मक दृष्टि से पार्टी के प्रति ईमानदार व संगठन को समय देने वाले कार्यकर्ता को महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी। जिसको लेकर मंथन चल रहा है। वहीं ऐसे पदाधिकारी को महानगर अध्यक्ष बनाए जाएगा। जिससे गुटबाजी को हवा न मिल सके। इसको लेकर गम्भीर मंथन अभी से शुरु हो गया है। नेतृत्व लगातार इसको लेकर जनप्रतिनिधियों व बड़े नेताओं का मन टटोल रहा है।
जिले के जनप्रतिनिधि व पूर्व जनप्रतिनिधि अपने खास को महानगर अध्यक्ष बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे है। संगठन स्तर पर जिले में कुछ का दबाव माना जाता है। संघ व विहिप से जुड़ाव रखने के कारण एक पूर्व जनप्रतिनिधि की महानगर अध्यक्ष के चुनाव में अहम भूमिका मानी जा रही है। हालांकि इसका निर्णय पार्टी नेतृत्व को लेना है। नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाने के लिए नेता विभिन्न रणनीति को अपना रहे है।

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