Sunday, November 24, 2024
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 राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई गई विवेकानन्द जयंती

Ayodhya Samachar

अम्बेडकर नगर। बी.एन.के.बी.पी.जी.कॉलेज, अकबरपुर, में विवेकानंद जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया। राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं ने भाषण और काव्य-पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. शुचिता पांडेय ने की। कार्यक्रम का संयोजन अंचल चौरसिया ने किया।

स्वामी विवेकानंद के उपदेशात्मक वचनों में एक सूत्रवाक्य इस वचन के माध्यम से उन्होंने देशवासियों को अज्ञानजन्य अंधकार से बाहर निकलकर ज्ञानार्जन की प्रेरणा दी थी । कदाचित् अंधकार से उनका तात्पर्य अंधविश्वासों, विकृत रूढ़ियों, अशिक्षा एवं अकर्मण्यता की अवस्था से था । वे चाहते थे कि अपने देशवासी समाज के समक्ष उपस्थित विभिन्न समस्याओं के प्रति सचेत हों और उनके निराकरण का मार्ग खोजें । स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में- तुमको कार्य के सभी क्षेत्रों में व्यावहारिक बनना पड़ेगा। सिद्धान्तों के ढेरों ने सम्पूर्ण देश का विनाश कर दिया है।।

हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि युवा अधिक से अधिक संख्या में सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों, जिससे न केवल समाज बेहतर बनेगा, बल्कि इससे व्यक्तिगत विकास भी होगा। उन्होंने सामाजिक सेवा के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़ा और मनुष्य में मौजूद ईश्वर की सेवा करने की बात कही। उनके अनुसार समाज सेवा से चित्तशुद्धि भी होती है।

भूगोल विभाग के सहायक आचार्य डॉ. कमल त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं। उनके ओजस्वी भाषण, उनके द्वारा दिए गए प्रेरणादाई उपदेश जीवन में आगे बढ़ने के लिए और जीवन में सफलता हासिल करने में सहायता प्रदान करते हैं।

अंग्रेजी विभागाध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा कि विवेकानन्द ने मानवता की सेवा को धर्म बताया। धर्म वह नैतिक बल है जो व्यक्ति तथा राष्ट्र को शक्ति प्रदान करता है। वे धर्म को व्यक्ति व समाज दोनों के लिए उपयोगी मानते थे वे हिन्दू धर्म को समस्त धर्मों का स्त्रोत मानते थे। वे उनकी धर्म की मीमांसा सार्वभौमिक थी। उनके अनुसार हिन्दू धर्म में कोई दोष नहीं है, बल्कि दोष धर्म के गलत प्रयोग में है।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने विवेकानंद मिश्र, शफ़क़त जहाँ, पूजा राय, खुशबू, मारतेन्दु पांडेय और स्वर्णिमा पांडेय ने विवेकानंद जी पर अपने विचार रखे। काव्य-पाठ में मधु त्रिपाठी ने ‘ युवा शक्ति का वन्दन-अभिनन्दन करने आई हूं’, अंशिका वर्मा ने ‘यह देश लुटेरों का नहीं, विवेकानंद जैसे ज्ञानियों का है’ पंक्तियों से अपनी बात रखी। संचालन बीएड के छात्र मनोज कुमार ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक प्रो.श्वेता रस्तोगी, अनिल कुमार सिंह, सुरेंद्र सिंह, डॉ. शशांक मिश्र, हरिकेश, अमित कुमार, आशीष कुमार चतुर्वेदी, रवि कुमार, अंचल चौरसिया, बृजेश कुमार रजक, अरविंद यादव , धनंजय मौर्य समेत अन्य शिक्षकगण, कर्मचारीगण, एन. सी. सी. के कैडेट, एन. एस. एस. के स्वयंसेवक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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