अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के प्रौढ एवं सतत् शिक्षा विभाग तथा हिन्दी भाषा एवं प्रयोजन मूलक विभाग और क्षेत्रीय भाषा अध्ययन केन्द्र तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं की भूमिका” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सोमवार को श्रीराम शोध-पीठ में किया गया। समापन सत्र को संबोधित करती हुई मुख्य अतिथि नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद् की सदस्य प्रो. मंजुला उपाध्याय ने कहा कि भारत में महिलाओं की भूमिका हर क्षेत्र मे ंरही है। इनके योगदान के बिना देश की आजादी हासिल नही की जा सकती थी। उन्होंने छात्रों को बताया कि भारतीय सेनानियों का जीवन सघर्ष एवं चुनौतियों से भरा रहा है। इसके बाद भी उन सभी ने दृढ़ता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में जानी जाती है। इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने भारतीय इतिहास की वीरांगनाओ से परिचित कराते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में महिलाओं के योगदान को भुलाया नही जा सकता। हर वर्ग की महिलाओं ने अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दिया है। उन्होंने छात्रों से कहा कि स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं के योगदान पर गहन अनुसंधान करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सुरेंद्र मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश की आजादी में वीरांगनाओं की महती भूमिका रही है। संगोष्ठी का संचालन डॉ. अंकित मिश्रा एवं रत्नेश यादव द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रो. तुहिना वर्मा, डॉ. शिवांश, डॉ. मुकेश वर्मा, डॉ. निलय तिवारी, विनय शर्मा, श्रीमती शालिनी पांडेय, डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में शोद्यार्थी मौजूद रहे।