जलालपुर, अम्बेडकर नगर। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध शायर मुनव्वर राना के निधन की खबर फैलते ही साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। नगर के मुहल्ला जाफराबाद स्थित डॉ हसन सईद के आवास पर सोमवार की रात्रि मरहूम मुनव्वर राना की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर उनके साहित्यिक योगदान को याद किया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वयोवृद्ध शायर व अदीब जाहिद जाफरी ने राना की निधन को उर्दू साहित्य का अपूर्णीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राना की शायरी में सामाजिक सरोकारों की प्रतिबद्धता है। मुख्य अतिथि मास्टर मुनीर अहमद ने कहा कि मुनव्वर राना को अपनी मां से बेपनाह मोहब्बत थी। मुनव्वर की शायरी में जिंदगी का अक्स नज़र आता है।अंसर जलालपुरी ने खिराज-ए-अकीदत पेश करते हुए पढ़ा ‘शरफ कमाल दिखाने के बाद मिलता है-सुखनवर ऐसा जमाने के बाद मिलता है। शौक अशर्फी ने पढ़ा ‘ यूं ही नहीं कोई होता है आबरू-ए-सुखन – वोह राना कौन थे ये अहले सुखन समझते हैं। तनवीर जलालपुरी ने कहा ‘न देख इतनी हिकारत से हम अदीबों को -न जाने कब तेरी औलाद शेर कहने लगे। साजिद जलालपुरी ने मुनव्वर राना की मां नज़्म पढ़ते हुए श्रद्धांजलि पेश किया ‘अभी जिंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा -मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।सादात जलालपुरी ने पढ़ा ज़र्रे ज़र्रे में है मौजूद खुदाई उसकी -काश इंसान को यह बात पता हो जाय। संचालन करते हुए डॉ ज़ीशान हैदर ने शेर पढ़ा ‘सो जाते हैं फुटपाथ पे अखबार बिछा कर -मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाता। सामाजिक कार्यकर्ता इब्ने अब्बास गुलशन ने कहा कि मुनव्वर राना की शायरी में देश प्रेम की झलक मिलती है।आयोजक अदब शाला अनवर जलालपुरी के संस्थापक डॉ हसन सईद ने आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया।