◆ सिद्धेश्वरधाम के मंहत कृष्णानंद जी के सानिध्य में चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन की कथा सुनते हुए कथा व्यास संपूर्णानंद महाराज ने बताया
बसखारी अंबेडकर नगर। प्रथम भगति संतन कर संगा, दूसर मम रति कथा प्रसंगा। अर्थात गोस्वामी तुलसीदास जी ने ईश्वर प्राप्ति का बहुत आसान मार्ग श्री रामचरितमानस में बताया है। इसमें कुल नौ प्रकार की भक्ति का वर्णन किया गया है। जिसमें भक्ति का पहला मार्ग संतों के साथ रहना उनकी बातों का अनुसरण करना बताया गया है।दूसरा भगवान की स्तुति करना भगवान का गुणगान करना है । अपने मन के छल कपट को त्याग कर अपने आप को दीन जनों की सेवा में लगाना ही भगवत प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन है।इस सृष्टि के कण-कण में भगवान राम वास है।जिनका दर्शन करने वाले मनुष्य का सदा कल्याण होता है । उक्त बातें बसखारी में मोतिगरपुर स्थित सिद्धेश्वर पीठ पर चल रही सप्त दिवसीय श्री राम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को कथा व्यास संपूर्णानंद जी महाराज ने कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को श्री राम रूपी अमृत कथा का रसपान कराते हुए कही।उन्होंने बताया कि जीवन में यदि श्री रामचरितमानस को एक आदर्श ग्रंथ मान करके उसमें बताए गए आदर्श को धारण करने का प्रयास किया जाए तो पूरे समाज को सुधारा जा सकता है। श्री रामचरितमानस महाग्रंथ की कथा सुनने और उसका अनुसरण करने से मनुष्य में राम, सीता,लक्ष्मण ,भरत, शत्रुघ्न व हनुमान जी जैसे व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है। रामायण महा ग्रंथ राष्ट्रभक्ति की भावना को भी विकसित करती है। इसके पूर्व सिद्धेश्वर धाम के महंत कृष्णानंद जी मुख्य यजमान राम यज्ञ दुबे ने कथा व्यास की आरती उतार कर कथा का शुभारंभ करवाया। इस दौरान स्वामी संपूर्णानंद के श्रीमुख से बह रही अमृत कथा का रसपान करने के लिए भारी संख्या में राम कथा प्रेमी श्रद्धालु कथा मंडप में मौजूद रहे। अयोध्या धाम से आएं हुए आचार्य पंडित उमेश यज्ञ, आचार्य पंडित मोरध्वज पांडेय, आचार्य मोनू तिवारी, पंडित विपिन शास्त्री, मनोज तिवारी सहित कई अन्य विद्वान व सहयोगी श्री राम कथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वही सिद्धेश्वर वाला धाम में प्रतिदिन अयोध्या,काशी व चित्रकूट से आए हुए विद्वानों के द्वारा क्षेत्र एवं विश्व शांति एवं कल्याण के लिए यज्ञ मंडप में निरंतर हवन का अनुष्ठान भी किया जा रहा है।