अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के ऋषभदेव जैन शोध पीठ में जैन धर्म के विभिन्न पक्ष विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राजकीय रमाबाई डिग्री कालेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफसर डॉ0 रवीन्द्र कुमार वर्मा ने जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि जैन धर्म के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। हम सभी जहाँ उपस्थित है, वह धरती जैन धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह सनातन धर्म के लिए ही नहीं बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह स्थान अत्यन्त पवित्र है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में ही जैन धर्म के पाँच तीर्थंकरों का जन्म हुआ है। तीर्थंकर ऋषभदेव, अजीतनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ, अनन्तनाथ तथा धर्मनाथ ने अयोध्या में जन्म लेकर इस नगरी को जैन धर्मावलम्बियों के लिए पूज्यनीय बनाया है। आदि तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव ने अयोध्या की धरती से ही असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य एवं शिल्प का उपदेश देकर सम्पूर्ण विश्व को विकसित करने का मूलमन्त्र दिया। कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में जैन धर्म सम्पूर्ण विश्व को अपने सिद्धान्तों के माध्यम से अहिंसा और शान्ति का सन्देश दे रहा है, इससे स्पष्ट होता है, कि जैन धर्म की प्रासंगिकता सम्पूर्ण विश्व में आज भी है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ऋषभदेव जैन शोध पीठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 देव नारायण वर्मा ने जैन धर्म के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि आज भी समाज के विभिन्न वर्गों के लिए जैन धर्म उपयोगी है। वर्तमान में जैन धर्म में वर्णित दैनिक क्रियाओं से सम्बन्धित सत्कर्म सम्पूर्ण समाज के लिए प्रासंगिक है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य वक्ता डॉ रवीन्द्र कुमार वर्मा व डॉ देव नारायण वर्मा एवं अन्य द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न देकर किया गया। इसके उपरांत छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ देव नारायण ने किया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डॉ आलोक कुमार मिश्र द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ श्याम बहादुर, डॉ दिव्या वर्मा, डॉ अखण्ड प्रताप सिंह, सुधीर सिंह, श्रीमती शैलेश, नसीब अली व अन्य छात्र-छात्राएँ मौजूद रही।