अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं ललित कला विभाग तथा उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड आर्थिक संघ (यूपीयूईए) के संयुक्त तत्वाधान में ’विपन्न समूह का अर्थशास्त्र एवं डॉ0 अम्बेडकर के विचारो की वर्तमान प्रासंगिकता’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद, तेलंगाना के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एलसी मल्लैयाह ने बताया कि वर्तमान बदलते परिदृष्य में डॉ अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता काफी समीचीन हो गई है, जिससे विपन्न वर्ग के गरीब एवं शोषित समाज के आर्थिक उन्नयन हेतु एक दिशा प्राप्त हो रही हैं। अर्थव्यवस्था में अभी तक संपत्ति एवं आय का वितरण समान नही हो पाया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विपन्न वर्ग के लोगो को आवश्यकता के अनुरूप आय का स्तर प्राप्त नही हो पा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में यदि हम विपन्न वर्ग के लोगो को चहुँमुखी विकास चाहते है तो उन्हें संपत्ति वितरण में पर्याप्त हिस्सेदारी प्राप्त होनी चाहिये।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कला एंव मानविकी संकायाध्यक्ष एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभागाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने विपन्न समूह की परिकल्पना के सापेक्ष डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक विचारो के विभिन्न आयामो को विश्लेषित करते हुए बताया कि डॉ. अम्बेडकर किसी एक जाति वर्ग सम्प्रदाय से नही बंधे थे।
विभाग की प्रो. मृदुला मिश्रा ने डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक विचार एवं महिला सशक्तिकरण चर्चा करते हुए कि देश की आधी आबादी के साथ ही हम समावेषित विकास की कल्पना कर सकते है। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 सरिता द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।