@ महेन्द्र मिश्र
अंबेडकर नगर। कटेहरी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के अंदर गोलबंदी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही है, जिसका खामियाजा आने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भुगतने को मिल सकता है।
बताते चले कि जिले के कटेहरी विधनसभा में लगभग तीन दशकों से बहुजन समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा था, लेकिन 2012 के आम चुनाव में सामाजवादी पार्टी ने बसपा के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रहे लालजी वर्मा को करारी हार दी थी, उसके बाद 2017 चुनाव में पुनः बसपा से लालजी वर्मा ने जीत दर्ज की। लेकिन 2021 के पंचायत चुनाव के खत्म होने के बाद जिले के दो वरिष्ठ बसपा नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और दो नेताओं ने 2022 विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी का दामन थामा और टिकट की दावेदारी की तभी से समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं द्वारा जो कि पार्टी के मूल टिकट दावेदार थे,ने विरोध किया गया बावजूद इसके बसपा से सपा में आये पूर्व मंत्री को समाजवादी पार्टी से टिकट मिला और जीत दर्ज की। चर्चा है कि चुनाव बाद भी पार्टी के संगठन और विधायक में सामंजस्य नही बैठ पा रहा। चर्चा यहां तक है कि विधायक के साथ आये लोग और पुराने समाजवादियों में भेदभाव और भरपूर सामंजस्य न बिठा पाने के कारण कई कार्यकर्ता या तो पद से इस्तीफा दे रहे या फिर पार्टी के प्रति निष्क्रिय हो गए हैं। कटेहरी विधानसभा में पार्टी के अंदर एक हलचल सी बनी हुई है। कुछ मामले तो स्थानीय विधायक द्वारा समझा बुझाकर कर मामला शान्त करवा दिया जाता है लेकिन ज्यादातर मामलों में बात नही बन पा रही। नाम न छपने के शर्त पर कुछ पुराने कार्यकर्ताओं ने बताया कि पार्टी में पहले जो सम्मान मिलता था अब वो नहीं मिल पा रहा,विधायक ज्यादा तरजीह अपने साथ आये चंद लोगों को दे रहे और उन्ही पर ज्यादा विश्वास भी कर रहे, जिससे बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं के अंदर भारी रोष और नाराजगी है,जिसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को आने वाले लोकसभा के चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।