डोपामिन असंतुलन और सोशल मीडिया की सनक बना रही युवाओं को हिंसक
अयोध्या। “इश्क में जुनून है, पर जब वह जुनून विकृति बन जाए तो खून तक बहा देता है।” ऐसी ही भयावह हकीकत बन चुका है आज का मॉडर्न लव-ट्राएंगल — पति, पत्नी और वो। सोशल मीडिया पर वायरल मीम्स, नीले ड्रम में लाश और प्रेम-त्रिकोण की सनसनीखेज कहानियाँ अब सिर्फ मनोरंजन नहीं, जघन्य अपराधों की चेतावनी बन चुकी हैं।
डॉ. आलोक मनदर्शन ने संभागीय परिवहन विभाग द्वारा आयोजित “मनोविकार जनित अपराध” विषयक वार्ता में कहा कि डेलूजनल डिसऑर्डर यानी भ्रमजन्य विकार और असंतुलित डोपामिन हार्मोन ब्रेन में ऐसी उत्तेजना पैदा करता है कि व्यक्ति यथार्थ से कटकर काल्पनिक संसार में जीने लगता है। इसी का नतीजा है कि प्रेम में धोखा, बेवफाई या शक की वजह से रिश्ते अब हिंसक अंत तक जा पहुंचते हैं। हाल ही में एक पूर्व पुलिस अधिकारी की पत्नी द्वारा की गई निर्मम हत्या ने इस ट्रेंड को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। पति, पत्नी और वो का घातक कॉम्बिनेशन अब एक आम सामाजिक विकृति बन चुका है, जो लिव-इन संबंधों की ऊब, ब्रेकअप की पीड़ा या शक के साए में पल रही असुरक्षा से जनित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता ए.आर.टी.ओ. प्रशासन डॉ. आर.पी. सिंह ने की।
नशा, सोशल मीडिया और मानसिक विकार: खतरनाक तिकड़ी
उन्होंने बताया कि नार्सिसिस्टिक, बॉर्डरलाइन, एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसे मानसिक विकारों से ग्रसित युवा, जब नशे और सोशल मीडिया की गिरफ्त में आते हैं, तो उनकी सोच और निर्णय क्षमता और भी विकृत हो जाती है। यह खतरनाक कॉम्बिनेशन डोपामिन को असामान्य रूप से बढ़ाकर उन्हें हिंसा की ओर धकेलता है।
समाधान: इलाज, जागरूकता और मनोपरामर्श
उन्होंने बताया कि इसका समाधान भी मौजूद है। कॉग्निटिव बिहैवियर थेरैपी और डोपामिन-संतुलक दवाओं से मानसिक संतुलन दोबारा हासिल किया जा सकता है। सबसे ज़रूरी है परिवार की भूमिका—असामान्य व्यवहार, नशाखोरी या आक्रामकता को नजरअंदाज करने की बजाय सही समय पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता लेना।
“हर लव स्टोरी खूबसूरत नहीं होती, कुछ ब्रेन-डिसऑर्डर की वजह से क्राइम स्टोरी में बदल जाती है। सही समय पर समझ और इलाज, जीवन और मौत के बीच का अंतर हो सकता है।”
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डॉ. आलोक मनदर्शन