Sunday, September 22, 2024
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अध्यात्मिक स्वास्थ्य है मनोस्वास्थ्य का पूरक किन्तु अंधविश्वास का है मनोरोग कनेक्शन


अयोध्या। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय व बी एन एस गर्ल्स कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में मनोजागरूकता पखवारा के तहत आयोजित तनाव प्रबंधन व पर्व मनोप्रभाव विषयक कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य अतिथि जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता  डा आलोक मनदर्शन ने कार्यशाला में बताया कि पर्व व त्यौहार न केवल मनोतनाव पैदा करने वाले मनो रसायन कॉर्टिसाल के स्तर को कम करते है बल्कि  मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन तथा आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन की मात्रा को बढ़ावा देने मे सहायक होते हैं  जिससे मन में स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता  है तथा मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है। साथ ही आस्था जनित अनुष्ठान व अंधविश्वास आधारित कर्मकाण्ड के विभेद के प्रति जागरुक रहना भी आवश्यक है। क्योंकि अंधभक्ति से अपरिपक्व, न्यूरोटिक,  साईकोटिक  मनोरक्षा-युक्तिया  प्रबल होती हैं। जो कि मनोअंतर्दृष्टि को क्षीण करते हुए डिसोसिएटिव डिसऑर्डर, कन्वर्जन डिसऑर्डर, फ़ोबिया, अवसाद, ओ.सी.डी.,उन्माद , अवसाद व स्किजोफ्रिनिया जैसी गंभीर मनोरोग का कारण बन सकती है। मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति या परिवार भी जघन्यतम अंधविश्वास के कृत्यों पर उतारू हो सकता है। जिसे मनोविश्लेषण की भाषा मे डिल्यूजनल डिसऑर्डर कहा जाता है। अध्यात्म व अंधविश्वास के सूक्ष्म मनो विभेद को प्रदर्शित करने वाली घटनाएँ समय समय पर घटित होती रहती है ।ऐसी घटनाओं  व मनोवृत्तियों को  जन मनो जागरूकता व वैज्ञानिक अध्यात्मिकता के प्रसार से काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कार्यशाला की अध्यक्षता डा नीलम सिंह तथा संचालन डा शेष मणि त्रिपाठी ने किया।कार्यशाला मे सभी  शिक्षक व छात्राएं मौजूद रहे।

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