अयोध्या। नाग पंचमी पूर्व-संध्या “सर्प- व्यवहार विज्ञान“ जागरूकता को लेकर डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि दूध पीने के बाद 90 फीसदी सांपों की मौत हो जाती है, सांप रंग और स्वाद नहीं समझ पाता है; गला सूखने पर दूध को पानी समझकर पी जाता है। ज्यादातर लोग सांप का नाम सुनते ही डरने लगते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि दुनिया भर में 2500 से ज्यादा तरह के सांप पाए जाते हैं। इनमें से केवल 20 प्रतिशत ही जहरीले होते हैं। भारत में लगभग 270 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा जहरीले सांप सिर्फ 4 ही प्रजाति के होते हैं। इनमें कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सा-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। सांप भी हमसे उतना ही डरते हैं जितना हम सांप से डरते हैं। सांप सिर्फ अपनी आत्मरक्षा करने के लिए ही वार करते हैं और काटते है।
उन्होंने बताया कि हमारे देश मे नागपंचमी पर्व का इतिहास अतिप्राचीन है जिसमें साँप को देव स्वरूप में आस्था व पूजा पाठ की परंपरा रही है। हर साल 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे भी मनाया जाता है जिसका उद्देश्य सांप मनोविज्ञान से जुड़ी बातों के प्रति जागरूक करना है। जिससे सांप के बारे व्याप्त भ्रान्ति को दूर किया जा सके। क्योंकि वैज्ञानिक जागरूकता व पर्याप्त मेडिकल ट्रीटमेंट के अभाव में भारत मे प्रतिवर्ष 50 हज़ार से ज्यादा मौत हो जाती है। सांप एक रेप्टाइल यानी रेंगने वाला जीव है। दूध ज्यादातर सिर्फ स्तनधारी ही पीते हैं। सांप रंग और स्वाद को पहचान नहीं पाता है। कई बार गला सूखने के कारण पानी की तलाश करता है। इस दौरान दूध मिलने पर इसे पहचान नहीं पाता और पी जाता है। इसके शरीर में दूध आसानी से नहीं पचता और कई बार यही मौत का कारण बन जाता है।