जलालपुर अम्बेडकरनगर। हैलो सर मै दारू के ठीके पर खड़ा हूँ जहा दुकानदार ने टूटी हुयी बोतल दे दिया जो वापस नही कर रहा है। यह कोई कहानी व डायलॉग नही है। यह एक हकीकत है जिसे सुनकर थानाध्यक्ष आवाक रह जाते हैं। यह वाकया जलालपुर सर्किल के एक थाने की है। शुक्रवार देर रात दरोगा साहब की फोन की घंटी बजने लगती है तो दरोगा साहब फोन को रिसीव करते है तो कालर बोलता है साहब मै दारु की दुकान पर खडा हू जहाँ मैने दारु की एक बोतल खरीद रखी है जो टूटा हुआ है दुकानदार को वापस कर रहा हू परन्तु वापस करने को तैयार नही है। कालर के इस बात को सुनकर दरोगा साहब हक्का बक्का रह जाते है कि इसका उपाय क्या निकालू। दरोगा साहब ने कहा कि अगर वापस नही कर रहा है तो पी जाओ यह कह के फोन काट दिया। पुलिस के सामने बोतल को वापस कराने की चुनौती नही है ब्लकि सवाल यह है जो पुलिस के कार्यक्षेत्र का कार्य नही है उसमे भी पुलिस को बुलाया जाता है। जबकि दारु सम्बंधित कार्य आबकारी से शिकायत किया जाना चाहिए लेकिन जहा इन पुलिस वालो की आवश्यकता नही है वहा भी बुलाया जाता है अगर थोड़ा सा इन पुलिस वालों से इधरउधर हो जाता है तो इन्ही के मथ्थे पर तमाम तरह के आरोप लगाकर मढ दिये जाते हैं। ऐसे मे तब लोग नियम कानून की बात करते हुए पुलिस पर रौब गालिब करते हुए नजर आते हैं।