अयोध्या। विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित सगोष्ठी मे अवध विश्वविद्यालय के विधि संकायध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार राय ने छात्रों को बताया कि कि मानव अधिकार वे मूलभूत अधिकार होते हैं जिसके बिना एक अस्तित्व पूर्ण जीवन की कल्पना भी नहीं किया जा सकता, और ये मूलभूत अधिकार बच्चे के गर्भ में आने के साथ ही से मिलने लगते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मानवाधिकारों का विचार हमारे धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता के शांति पर्व में भी मिलता है। उन्होंने छात्रों को बताया कि भारत भी विश्वमानवाधिकार की घोषणा के समय इसका संस्थापक सदस्य था। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार भारत को भी अपने संविधान में इन अधिकारों को सम्मिलित करना था। किंतु वर्तमान सरकारों के अरुचि के कारण तथा संसाधनों की कमी के कारण उन सभी अधिकारों को लागू नहीं किया जा सका उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान सरकारों ने कैसे मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए हुए बताया कि कम से कम जिले स्तर पर मानवाधिकार कोर्ट की स्थापना होनी चाहिए जिसमें केवल मानवाधिकार के मामलों की सुनवाई हो।
इस इस अवसर पर विधि विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अजय कुमार सिंह बताया कि एक व्यक्ति का अधिकार दूसरे का कर्तव्य होता है इसलिए अधिकारों पर मांग के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी सम्यक रूप से निर्वहन करना चाहिए । इसके लिए उन्होंने भगवान श्री राम के कर्तव्यों का तथा कौरवों के अधिकारों के बीच हुए संघर्षो का भी उदाहरण दिया इस अवसर पर असिस्टेंट प्रोफेसर शशि कुमार ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए उन्होंने बताया कि मानवाधिकार हमारे संविधान मे कहां-कहां और किस किस अनुच्छेद में है । इस संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ. विवेक सिंह , वंदना गुप्ता का विशेष योगदान रहा इस अवसर पर विभाग के छात्र आकाश पाठक ललिता ऋचा पाठक मोईन संदीप दूबे अकरम सहित कई छात्र उपस्थित रहे