अंबेडकर नगर। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी अवसर पर समस्या शब्द का नाम अवश्य लेता रहता है।यदि पूंछा जाए कि समस्या कहते किसे हैं या समस्या शब्द की सर्वमान्य परिभाषा क्या है तो बड़े बड़े विद्वतजन भी मौन हो मूक हो जाते हैं।
वस्तुतः समस्या एक ऐसी परिस्थिति होती है जिसका पहले से बना बनाया कोई हल या समाधान नहीं होता।यह अतिथि जैसी होती है।कोई नहीं जानता कि अमुक दिन अमुक स्थान पर उसकी गाड़ी पंचर होगी।यदि जान जाता तो मेकेनिक पहले से साथ लेकर चलता।अतः समस्या हर वह नवीन अनजान परिस्थिति है जो अकस्मात उपस्थित होती है औरकि जिसका कोई भी समाधान बना बनाया पहले से उपस्थित नहीं रहता।
इसीप्रकार बहुतेरे लोग अक्सर कहा करते हैं कि मजबूरीवश ऐसा या वैसा करना पड़ रहा है।मेरे एक वकील विद्वान मित्र जोकि इस्लाम पंथ के अनुयायी हैं,ने जनता कर्फ्यू को भी थोपने जैसा करार दिया।जिससे प्रेरित हो मैं मजबूरी शब्द की व्याख्या करने को विवश हुआ।कदाचित ऐसे मित्र भी मुझे अभिप्रेरित करने के लिए बधाई के पात्र हैं।मेरे अनुसार मजबूरी वह अपरिहार्य परिस्थिति है जिसे न चाहते हुए भी विवशतावश स्वीकार्य करना पड़ता है।इस प्रकार किसी भी निदान के अभाव में उत्तपन्न अपरिहार्य विवशता ही मजबूरी है।कदाचित 22 मार्च 2020 का जनता कर्फ्यू भी मजबूरी का एक ज्वलन्त उदाहरण था।
अनुश्रवण शब्द श्रवण में अनु उपसर्ग लगाने से बनता है।श्रवण शब्द का शाब्दिक अर्थ सुनने से है।किंतु सुनने और श्रवण दोनों ही क्रियाओं में बहुत भेद है।सड़क पर चलते किसी भी ध्वनि का कान में पड़ना सुनने का उदाहरण हो सकता किन्तु श्रवण नहीं हो सकता।अब प्रश्न उठता है कि तब अनुश्रवण क्या है?यथार्थतः जिज्ञासापूर्वक किसी भी बात,कथानक,कथन,शिक्षण आदि को सुनना और उसको धारण करना ही अनुश्रवण कहलाता है।अनुश्रवण में अनुपालन भी निहित होता है।जबकि सुनने में अनुपालन नहीं होता है।
इसप्रकार आज वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुकी कोरोना कदाचित वैश्विक समस्या होने के कारण इससे बचाव के उपाय मजबूरीवश भले रहे हों किंतु उनका सम्यक अनुश्रवण किया गया था।जिससे स्वस्थ समाज स्वस्थ चिंतन जीवंत रहे।