Monday, January 6, 2025
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दिव्यांग महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखाता एनटीपीसी टांडा

Ayodhya Samachar


अम्बेडकर नगर। एनटीपीसी टांडा न केवल ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में भी यह एक मिसाल कायम करता है। टांडा परियोजना अपने आसपास के ग्रामवासियों के साथ गहरे और आत्मीय संबंध बनाए रखती है। युवा कौशल विकास से लेकर महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने तक, एनटीपीसी टांडा हर पहलू में समाज के उत्थान के लिए प्रयासरत है।

इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, एनटीपीसी टांडा ने अपने नैगम सामाजिक दायित्व और गरिमा महिला मंडल के संयुक्त प्रयास से एन एफ एन डी आर सी में दिव्यांग महिलाओं के स्वावलंबन को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। इस अनोखी पहल में शैम्पू, साबुन, और सुगंधित मोमबत्तियाँ बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला में बड़ी संख्या में दिव्यांग महिलाओं ने भाग लिया और विभिन्न उत्पाद निर्माण के बारीक पहलुओं को आत्मसात किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि दिव्यांग महिलाओं को न केवल स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाए, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी मजबूती दी जाए। यह प्रशिक्षण न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को भी बढ़ावा देगा।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, गरिमा महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती संघमित्रा परिदा ने अपनी प्रेरणादायक उपस्थिति से इस आयोजन को गौरवान्वित किया। उन्होंने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा, “यह कार्यशाला दिव्यांग महिलाओं के लिए एक नई शुरुआत है। यह उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने का साहस और अपने सपनों को पूरा करने का मार्ग प्रदान करेगी।” उन्होंने यह भी बताया कि एनटीपीसी टांडा इन महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों के विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध कराने में हर संभव सहायता करेगा। इस कार्यशाला का कुशल संचालन सुश्री निष्ठा सिंह, अधिकारी ने किया। गरिमा महिला मंडल और सी एस आर टीम के सामूहिक प्रयासों ने इस कार्यक्रम को एक प्रेरणादायक पहल बना दिया। कार्यक्रम के समापन पर संघमित्रा परिदा ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दीं और भविष्य में इस तरह की और भी गतिविधियों के आयोजन का वादा किया। एनटीपीसी टांडा का यह प्रयास एक मिसाल है कि किस तरह समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाया जा सकता है। यह कार्यक्रम न केवल महिलाओं के जीवन में बदलाव लाएगा, बल्कि उनके परिवारों और समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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