अयोध्या। हिंदू समाज तभी सशक्त होगा, जब हर स्तर पर सामाजिक समरसता होगी। यह बात गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी भली भांती जानते थे। मीनाक्षीपुर के धर्मांतरण की घटना को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस दिशा में निरंतर प्रयास किया। गोरक्षपीठ जाति-पंथ-भाषा-स्थान से हमेशा से उपर रहा और गुरु गोरखनाथ की परंपरा में वैसे भी इसका कोई स्थान नहीं रहा। इस विचार को मठ से आगे प्रेषित करने का कार्य महंत अवेद्यनाथ ने एक अभियान के रूप में किया। ये बातें महंत अवेद्यनाथ की नौवीं पुण्यतिथि के अवसर पर नाका हनुमान गढ़ी स्थित खांटू श्यान दरबार में आयोजित समरसता भोज के अवसर पर महासंघ के गोरक्षा प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष प्रवीण दूबे ने कहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष उपेंद्र सिंह और संचालन वरुण चौधरी ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने महंतश्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि श्री रामजन्मभूमि की मुक्ति के क्रम में गोरक्षपीठ और महंत अवेद्यनाथ की महती भूमिका रही है। श्री रामजन्मभूमि आंदोलन में महंत जी ने हर स्तर पर सहयोग किया और आंदोलन के अगुवा की भूमिका में आगे रहे। उनका जीवन संत परंपरा के लिए और समाज के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने यह आदर्श प्रस्तुत किया कि संत को धर्म और समाज के लिए समर्पित होना चाहिए। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को पवन मिश्रा, दीपक पांडेय, और नीरज पाठक ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर भारी संख्या में सभी वर्गों के लोगों ने समरसता भोज में प्रसाद ग्रहण किया। समरसता भोज और कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष मातृशक्ति पल्लवी वर्मा, अमृता सिंह, प्रज्ञा श्रीवास्तव, महंत विनोद दास, अजय मिश्रा, स्वरूप सिंह, मनोज श्रीवास्तव, संजीव चतुर्वेदी, अंकित दुबे, बालक राम गांधी, प्रह्लाद सिंह, अमरजीत सिंह, रवि चौधरी, कन्हैया सिंह, के सी श्रीवास्तव, राकेश दुबे, रामचंद्र श्रीवास्तव, संतोष शर्मा और अरुण शर्मा ने शिरकत की।