अयोध्या। रामनगरी ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी, जब हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए हनुमान जी के पवित्र निशान के साथ राम जन्मभूमि पहुंचकर रामलला का दर्शन-पूजन किया और छप्पन भोग अर्पित किया।
महंत प्रेमदास शाही रथ पर सवार होकर सैकड़ों नागा साधुओं के साथ भव्य शोभायात्रा में हनुमानगढ़ी से सरयू घाट तक पहुंचे। मार्ग में जगह-जगह जय श्रीराम के घोष गूंजते रहे, और नागा साधुओं ने तलवारबाज़ी व लाठीबाज़ी कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। सरयू घाट पर महंत प्रेमदास ने स्नान कर कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।
हनुमानगढ़ी की परंपरा के अनुसार, गद्दीनशीन महंत मंदिर की 52 बीघा सीमा में ही रहते हैं और बाहर नहीं जाते। लेकिन महंत प्रेमदास ने हनुमान जी के स्वप्नादेश का पालन करते हुए यह ऐतिहासिक कदम उठाया। रामलला को अर्पित छप्पन भोग के साथ विशेष भोग भी अर्पित किया गया।
शाही जुलूस का नगर विधायक वेदप्रकाश गुप्ता, जिलाधिकारी निखिल टीकाराम पांडेय व एसएसपी राजकरण नैय्यर ने पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। शोभायात्रा में हाथी, ऊंट और घोड़ों पर सवार साधु विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। यह आयोजन न केवल एक परंपरा का नया अध्याय है, बल्कि राम और हनुमान के अटूट संबंध का सार्वजनिक उत्सव भी बन गया।