अंबेडकर नगर। शुक्रवार को महिला शरणालय’ अयोध्या में घरेलू हिंसा विषय पर कमलेश कुमार मौर्य, अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में भारती शुक्ला, अधीक्षिका महिला शरणालय, अयोध्या एवं महिला संवासिनियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
अपर जिला जज द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया गया कि घरेलू हिंसा दुनिया के लगभग हर समाज में मौजूद है। इस शब्द को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है पति या पत्नी, बच्चों या बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा कुछ सामान्य रूप से सामने आये मामलों में से कुछ हैं। पीड़ित के खिलाफ हमलावर द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की रणनीति है। शारीरिक शोषण, भावनात्मक शोषण, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार या वंचितता, आर्थिक अभाव / शोषण आदि घरेलू हिंसा न केवल विकासशील देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित है । हर साल तेजी से बढ़ते हुये आंकड़े चिंता का विषय है। घरेलू हिंसा में महिलायें और बच्चे अक्सर सॉफ्ट टारगेट होते हैं। भारतीय समाज में स्थिति वास्तव में भीषण है। केवल घरेलू हिंसा के परिणामस्वरूप, दैनिक आधार पर बड़ी संख्या में मौतें हो रही है। घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 में घरेलू हिंसा के विरूद्ध संरक्षण और सहायता प्रदान करता है। सरकार द्वारा घरेलू हिंसा से निपटने के लिये भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए दहेज निषेध अधिनियम 1961 एवं घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं का संरक्षण काननों द्वारा सरकार महिलाओं के प्रति सुरक्षा निर्धारित करती है एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के अंतर्गत पत्नी अपने पति से भरण पोषण पाने का दावा करती है, पति का दायित्व है कि वह अपनी पत्नी एवं बच्चों का भरण पोषण करे और विवाद की स्थिति में भी न्यायालय कई बार पति को अपनी पत्नी को अंतरिम भरण पोषण देने का आदेश देती है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा वन स्टाप सेन्टर जैसी योजनाएं प्रारम्भ की हैं जिनका उद्देश्य घरेलू हिंसा व अन्य हिंसा की शिकार महिलाओं की सहायता के लिये चिकित्सीय कानूनी और मनोवैज्ञानिक सेवाओं की एकीकृत रेंज तक उनकी पहुंच को सुगन व सुनिश्चित करता है।