Saturday, November 23, 2024
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पालकी में आयी जगत जननी, मंत्रोच्चारण के बीच कलश स्थापना कर खुले पंडालो के कपाट

Ayodhya Samachar


@ सुभाष गुप्ता


बसखारी अंबेडकर नगर। विक्रम संवत 2081 प्रतिपदा दिन बृहस्पतिवार को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता की पूजा अर्चना के साथ शरादीय नवरात्रि का प्रारंभ हो चुका है। नवरात्रि धार्मिक उत्सव को श्रद्धा पूर्वक मनाने के लिए नौ दिन का व्रत रखने वाले जातकों  के द्वारा घरों में स्थित पूजा स्थलों को बुधवार को शाम को ही सजा दिया गया है, जिसमें गुरुवार की सुबह को ब्राह्मणों के मुखारविंद से निकले वैदिक मंत्रोचरण के बीच कलश स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा आराधना विधि विधान से शुरू कर दी गई। कहीं-कहीं सजायें गये भव्य पंडालो में स्थित मां दुर्गा को प्रतिमा में वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करते हुए लोगों के दर्शन के लिए पंडालों के पट  खोल दिये गये है। इस बार शरादीय नवरात्रि बृहस्पतिवार के दिन शुरू  होने के कारण या भक्तों के लिए लाभदायक है और शास्त्रों में  इसका विशेष महत्व बताया गया है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा का पालकी पर सवार होकर आगमन हो रहा है।जो भक्तों के लिए बड़ा ही शुभ  माना जा रहा है। नवरात्रि के नौ दिनों तक  मां के नौ स्वरूपों की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी तृतीय चंद्रघंटा, चतुर्थ कुष्मांडा,पंचवी स्कंदमाता, षष्ठी कात्यानी माता, सप्तमी कालरात्रि अष्टमी महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा आराधना फल फूल रोली चंदन सहित अन्य पूजा सामग्रियों के साथ गुड़हल और कनेर के फूल एवं गाय के दूध से बनी खीर या श्वेत मिष्ठान का भोग लगाते हुए किया गया। कुछ भक्तों ने इस पवित्र अनुष्ठान को पूरा करने के लिए नौ दिन व्रत रहने का संकल्प लिया तो कुछ ने प्रथम व अष्टमी तिथि को व्रत रखने का संकल्प लेते हुए पूजा आराधना की। नवदुर्गा के शैलपुत्री नामकरण के पीछे शास्त्रों में मान्यता है कि इन्होंने  पर्वतराज हिमालय  के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। पर्वत को शैल नाम से भी जाना जाता है जिस कारण इनका प्रथम नाम शैलपुत्री पड़ा। सच्चे मन से मां शैलपुत्री की पूजा आराधना करने से मनुष्य को चुनौतियो के सामने शैल की तरह डटे रहने के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति धन, रोजगार और स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है‌।

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