◆ जिला अस्पताल में सटटेबाजी के कारण सुसाइडल डिप्ररेशन के मरीजों की बढी संख्या
◆ इलाज के लिए आने वाले मरीजों में लगभग 20 प्रतिशत लडकियां भी शामिल
अयोध्या । क्रिकेट का महाकुंभ आईपीएल जहां करोड़ों के लिए रोमांच और जश्न का कारण है, वहीं कुछ युवाओं के लिए यह गहरी त्रासदी का सबब बनता जा रहा है। जिला अस्पताल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं—इस साल आईपीएल में सट्टा लगाकर अवसाद में डूबने वाले मरीजों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। डा. आलोक मनदर्शन के अनुसार, इस बार लड़कियों में भी सट्टा लगाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। अस्पताल में आने वाले कुल मरीजों में अब 20 प्रतिशत तक लड़कियां शामिल हो गई हैं। परिजनों को भी शुरुआत में इन लक्षणों का पता नहीं चलता। जब मानसिक स्थिति गंभीर होने लगती है और आत्महत्या के संकेत दिखने लगते हैं, तब मरीजों को अस्पताल लाया जाता है।
जिला अस्पताल के चौंकाने वाले आंकड़े
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रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीज: 4 से 5
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पिछले साल रोजाना मरीज: 2 से 3
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अब तक इलाज करा चुके मरीज: लगभग 60
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इलाज के लिए आने वाली लड़कियों का प्रतिशत: 20%
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उम्र सीमा: 14 से 34 वर्ष
सट्टेबाजी के कारण बढ़ती मानसिक समस्या
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नींद न आना
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लगातार हार का पछतावा
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आत्मग्लानि और अवसाद
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आत्महत्या करने की प्रवृत्ति
“सट्टेबाजी की लत एक मनोरोग है जिसे कम्पल्सिव गैम्बलिंग कहते हैं। मरीज गहरे अवसाद में चले जाते हैं और आत्महत्या तक का विचार करने लगते हैं। परिवार को चाहिए कि समय रहते बच्चों के व्यवहार में बदलाव को समझें और बिना देरी के मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। सट्टेबाजी कोई मनोरंजन नहीं, बल्कि गंभीर बीमारी की ओर पहला कदम है।”
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डा आलोक मनदर्शन डा. आलोक मनदर्शन, मनोपरामर्शदाता, जिला अस्पताल