Sunday, November 24, 2024
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मासूम यौनशोषित हो सकता मनोआघात ग्रसित

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अयोध्या।  डॉ आलोक मनदर्शन ने बताया कि बच्चां से लाड-प्यार स्वस्थ मानसिक भोजन होता है पर कुछ लोग प्यार दुलार के बहाने उनके यौन शोषण से आनंदित होते हैं । मनोविश्लेषण की भाषा में यह रुग्ण मनोवृत्ति पीडोफिलिया तथा ऐसे लोग पीड़ोफिलिक  कहलाते है।

डॉ. आलोक मनदर्शन

एक अध्य्यन के अनुसार अधिकांश मासूम यौन शोषण करीबियों, परिचितों व रिश्तेदारों द्वारा किये जाते हैं। डॉ. आलोक मनदर्शन के अनुसार यौन शोषित मासूम मनोआघात से ग्रसित हो सकता है जिससे मासूम के मन में भयाक्रांत व बेचैन कर देने वाली स्मृतियाँ इस तरह हावी हो सकती है कि वह चीखना-चिल्लाना, भागना व अनाप-शनाप बकना, घर से बाहर न निकलना, स्कूल व पढ़ाई आदि से कटना व बेहोशी आदि असामान्य लक्षण दिखायी पड़ सकते हैं ।

डॉ. मनदर्शन ने सलाह दी कि पीड़ित मासूम के स्वजन घटना विशेष के दौरान घटित बातों को दोहराने से बचें तथा ऐसे दृश्यों व उत्प्रेरको से मासूम को दूर रखे जिससे घटना की स्मृतियां पुनवर्धित हो। साथ ही मासूम का ध्यान मनोरंज़क व अन्य गतिविधियों में लगाने की कोशिश करें। जिससे की उसका आवेशित मन धीरे-धीरे उदासीन हो सके। वर्चुअल एक्सपोजर व सपोर्टिव साइकोथेरैपी पीड़ित मासूम के लिए बहुत ही कारगर है। गुड टच व बैड टच की ट्रेनिंग घर व स्कूल मे देते रहने के साथ ही स्कूल कॉउंसलर द्वारा मासूमों के साथ अकेले मे की जाने वाली निद्दानात्मक बातचीत व रोल मॉडलिंग मासूमों के लिए काफी मददगार होती है।

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