अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक भवन के सभागार में गुरूवार को एनईपी-2020 के अन्तर्गत स्नातक चतुर्थ वर्ष व परास्नातक प्रवेश के क्रियान्वयन को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो प्रतिभा गोयल कहा कि एनईपी-2020 का क्रियान्वयन भारतीय समाज को ज्ञान, समृद्ध समाज के रूप में प्रतिष्ठित करना है। सभी ज्ञान कौशल युक्त होकर आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान करें। बैठक में कुलपति ने कहा कि एनईपी की इस व्यवस्था को सभी विद्धवत जनों को अपने कर्तव्यों एवं ज्ञान निष्ठा के साथ इसे सफल बनाना होगा। इसमें सभी का योगदान महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में एनईपी उत्तर प्रदेश के समन्वयक प्रो. दिनेश शर्मा ने कहा कि एनईपी-2020 के अन्तर्गत स्नातक चतुर्थ वर्ष में परास्नातक में सीटों के सापेक्ष प्रवेश होगा। चार वर्षीय स्नातक डिग्री परास्नातक के प्रथम वर्ष के पूर्ण होने पर यदि वह विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ता है। तो उसे चार वर्षीय स्नातक रिसर्च की डिग्री प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि चार वर्षीय स्नातक प्रवेश के लिए यदि किसी भी विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में सीट उपलब्ध नहीं होती है तो परास्नातक प्रथम वर्ष के सापेक्ष सीटों पर ही प्रवेश सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में क्रियान्वित तीन वर्षीय स्नातक एवं दो वर्षीय परास्नातक में पूर्ववत व्यवस्था की तरह संचालित होगी। जब तक कोई शासन से नये दिशा-निर्देश जारी नही हो जाते। उन्होंने कहा कि एनईपी के तहत द्विवर्षीय परास्नातक में प्रवेश के लिए उन विद्यार्थियों को भी पात्र माना जायेगा। जिन्होंने अपना स्नातक एनईपी स्नातक लागू होने से पहले किया है।
कार्यशाला में एनईपी संयोजक प्रो. एस.एस. मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा एनईपी के महत्व से अवगत कराया। इसके अतिरिक्त उन्होंने एनईपी के क्रियान्वयन संबंधित विन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला में कुलसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र, परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो. राजीव गौड़, प्रो. चयन कुमार मिश्र, प्रो. गंगाराम मिश्र, प्रो. फर्रूख जमाल, डॉ. पीके द्विवेदी, प्रो. अभय प्रताप सिंह, प्रो. मंजूषा, डॉ. शुचिता पाण्डेय, डॉ. प्रवेश पाण्डेय, डॉ. सुरेन्द्र मिश्र, डॉ. डीएन वर्मा, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ. सतीश श्रीवास्तव, डॉ. शिव राम यादव, रवि मालवीय सहित सम्बद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित रहे।