प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में मंदिर आंदोलन में अपना बलिदान देने वाले कारसेवकों को याद किया। न्याय पालिका को धन्यवाद कहा। रामलला से क्षमा याचना की जो इतना समय लगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को वसुधैव कुटुंबकम् के विचार की प्रतिष्ठा बताया। 22 जनवरी को एक नए कालचक्र का उद्गम बताया। राम के महात्म की चर्चा की।
अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त अपने सम्बोधन प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो घटित हुआ है इसकी अनुभूति देश व विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी। यह माहौल, यह वातावरण, यह ऊर्जा, यह घड़ी, प्रभु श्री राम का हम सब पर आशीर्वाद है। यह समय एक अद्भुत आभा लेकर आया है। 22 जनवरी 2024 यह कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं एक नए कालचक्र का उद्गम है।
बोले हमारे पुरूषार्थ में कुछ कमी तो अवश्य रह गई होगी
मैं आज प्रभु श्री राम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ हमारे त्याग तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी। हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई। विश्वास है कि प्रभु राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे। त्रेता में राम आगमन पर संत तुलसीदास जी ने लिखा है प्रभु बिलोक हरसे सब वासी अर्थात प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। लंबे योग से लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी। उसका अंत हो गया। उस कालखंड में तो वियोग केवल 14 वर्षों का था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ो वर्षों का वियोग सहा है।
न्याय पालिका को दिया धन्यवाद, बोले न्याय बद्ध तरीके से बना राम मंदिर
उन्होंने कहा कि भारत के तो संविधान में उसकी पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान अस्तित्व में आने के बाद भी प्रभु श्री राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। धन्यवाद भारत की न्यायपालिका का जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय बद्ध तरीके से ही बना।
राम मंदिर के लिए किए बलिदानों को किया याद
बोले – यह सिर्फ विजय का नही विनय का भी अवसर
उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तियों को भी याद कर रहा है जिनके कार्य और समर्पण की वजह से आज हम यह शुभ दिन देख रहे। राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की राम भक्तों, कारसेवकों, संत महात्माओं के हम सब ऋणी हैं। आज का अवसर उत्सव का है। हमारे लिए यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं विनय का भी है।
बोले राम विवाद नही समाधान हैं
उन्होनें कहा एक समय था जब कुछ लोग कहते थे की राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए। राम लला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति-धैर्य आपसी सद्भाव और समन्वय का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि यह आग को नही बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम मंदिर समाज के हर वर्ग को एक उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ाने के प्रेरणा लेकर आया है। आज उन लोगों से आह्वान करूंगा आईये आप महसूस कीजिए। अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए। राम आग नहीं है राम ऊर्जा है। राम विवाद नहीं राम समाधान है। राम को सबके हैं। राम वर्तमान नहीं राम अनंत काल है। जिस तरह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है उसमें राम की सर्व व्यापकता के दर्शन हो रहे हैं। जैसा उत्सव भारत में है वैसा ही अनेक देशों में हो रहा है। आज अयोध्या का यह उत्सव रामायण के उन वैश्विक परंपराओं का भी उत्सव बना है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वसुधैव कुटुंबकम् के विचार की प्रतिष्ठा
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वसुधैव कुटुंबकम् के विचार की भी प्रतिष्ठा है। केवल श्री राम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। मानवीय मूल्य और सर्वोच्च आदर्श की प्राण प्रतिष्ठा है। इन मूल्यों की इन आदर्शों की आवश्यकता आज संपूर्ण विश्व को है। सर्वे भवंतु सुखिनः यह संकल्प हम सदियों से दोहराते आए। यह मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है यह भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के अध्यात्मिक दर्शन का मंदिर है।
भव्य मंदिर तो बन गया आगे क्या होगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री राम का भव्य मंदिर तो बन गया आगे क्या होगा। सदियों का इंतजार तो खत्म हो गया। अब आगे क्या। कालचक्र बदल रहा है हमारी पीढ़ी को एक कालजई पद के शिल्पकार के रूप में चुना गया। हजार वर्ष बाद की पीढ़ी राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करें। इस पवित्र समय से अगले 1000 साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर अब देशवासी यही इस पल से समर्थ-सक्षम-भव्य-दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं।