◆ सिद्ध पीठ मोतिगरपुर धाम में राम कथा के दूसरे दिन अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश महामंत्री स्वामी रामानंद जी महाराज एवं लखनऊ से स्वामी कोसी चेतन जी की भी रही उपस्थित
बसखारी अंबेडकर नगर। सनातन धर्म हमेशा जाति-पाति, उच्च- नीच के बंधन से मुक्त रहा है। जिसका उदाहरण प्रभु श्री रामचंद्र जी ने दीन दुखियों को गले लगाकर रामायण में प्रस्तुत किया है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की वंदना में लिखा है ,बंदऊ सीताराम पद जिनहि परम प्रिय खिन्न। जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं,परन्तु वास्तव में एक हैं, उन श्री सीता राम जी के चरणों की मैं वन्दना करता हूँ, जिन्हें दीन-दुखी बहुत ही प्रिय हैं। प्रभु श्री रामचंद्र जी ने हमेशा दीन दुखियों से प्यार किया हैं।कमजोरों को गले लगाया हैं। प्रभु श्री रामचंद्र जी की भक्ति में सबसे बड़ी बाधा लोभ मोह, मद है।यदि मनुष्य लोभ, मोह, मद को त्याग कर भगवान के शरण में आ जाए तो उसके सभी कष्टो का निवारण हो जाता है।उक्त बातें बसखारी में मोतिगरपुर स्थित सिद्धेश्वर पीठ पर चल रही सप्त दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथा व्यास संपूर्णानंद जी महाराज ने कहीं। कथा पीठ से उन्होंने बताया कि इस कलिकाल में मनुष्य के भक्ति मार्ग में सभी अवरोधों को दूर करते-करते मन में अहम की भावना अर्थात घमंड पैदा हो जाती है। जिसको मारना बड़ा कठिन होता है।क्योंकि जहां भी घमंड का लेश मात्र भी प्रभाव होता है वहां भगवान राम का वास कभी भी नहीं हो सकता है ।इसलिए व्यक्ति को अपनी शुद्ध पवित्र आत्मा से संसार हित में कार्य करते हुए राम नाम के शरण में जाने से उसका दोनों लोक सुधर जाता है। कथा के पूर्व सिद्धेश्वर पीठ धाम के महंत कृष्णानंद जी मुख्य यजमान राम यज्ञ दुबे कथा व्यास की आरती उतार कर कथा का शुभारंभ करवाया।इस अवसर पर प्रमुख रूप से अखिल भारतीय संत समिति के प्रथम प्रदेश महामंत्री स्वामी रामानंद जी महाराज तथा लखनऊ से स्वामी कोसी चेतन जी महाराज की पधारने पर उनका भी स्वागत वंदन किया गया कथा में अयोध्या धाम से आए हुए आचार्य पंडित उमेश यज्ञ ,आचार्य मोरध्वज पांडे, आचार्य मोने तिवारी, पंडित विपिन शास्त्री ,मनोज तिवारी सहित कई अन्य साधु संत सराहनीय भूमिका में मौजूद रहे। कथा सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं भी उपस्थित रहे।