अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि गर्मी की छुट्टी के पुर्व होमवर्क लोड से छात्र समर वैकेशन में भी मनोदबाव व कुंठा की मनोस्थिति में पहुंच जाता है कि होमवर्क प्रेशर इस प्रकार हाबी हो सकता है कि वह वैकेशन टाइम व ट्रिप को भी अनमनेपन से लेने को बाध्य हो जाता है। ऐसी मनोदशा को एकेडमिक बर्न आउट कहा जाता है जिससे चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, सरदर्द,भूख न लगना, उलझन, बेचैनी,आक्रमकता , उदासी,पढ़ाई मे अरुचि जैसे लक्षण दिखायी पड़ सकतें है। समर कैम्प भी एक तरह का स्कूल प्रोजेक्ट वर्क जैसा मनो प्रभाव देता है जो कि फैमिली ट्रिप जैसा मेंटल रिफ्रेशमेंट देने से काफी दुर होता है । समर वैकेशन होमवर्क लोड का दुष्प्रभाव अभिभावकों पर भी पड़ता है क्योंकि वे भी इस समय सपरिवार घूम-फिर कर तरोताजा होने की लालसा रखते है तो दूसरी तरफ पाल्य का होमवर्क लोड फैमिली ट्रिप मे अवरोध बनने लगता है। इस प्रकार वे भी द्वन्द भरी मनोदशा के शिकार होने लगते है जिससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा,स्कूल सिस्टम के प्रति नाराजगी , डांट फटकार जैसे लक्षण उनमे दिखायी पड़ सकतें है। जिसे कान्फ्लिक्ट न्यूरोसिस कहा जाता है। यह बातें जिला चिकित्सालय मे आयोजित रविवार विशेष कार्यशाला में मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन द्वारा बतायी गयी।
डॉ मनदर्शन के अनुसार छात्र व अभिभावक इस समर होमवर्क लोड को स्टडी रिदम मेंटेनेंस एक्टिविटी के रूप में लें जिससे छात्र के मन मे अध्ययन उत्पादकता व मनोरंजन के बीच एक स्वस्थ तारतम्य बना रहे। अभिभावकों को अपने पाल्य को होमवर्क मेंटेनेंस के लिए फैमिली ट्रिप को एन्जॉय करते हुए दबाव रहित प्रेरित करते रहना चाहिए जिससे हैप्पी हार्मोंस सेरोटोनिन व डोपामिन मे इज़ाफा होगा तथा समर वैकेशन से मनो आनन्द का न केवल टॉप अप होगा बल्कि साल भर के लिये मनोउर्जा का मेंटल रिचार्ज होगा ।