@ महेन्द्र मिश्र
अंबेडकर नगर। लगभग ढाई दशकों से अशरफपुर किछौछा की नगर पंचायत अध्यक्ष सीट अपराधिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले प्रत्याशियों का गढ़ रही है। जिस पर भाजपा इस बार कमल खिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत करती नजर आ रही है। एक दशक से तो सैयद गौस अशरफ अपनी पत्नी को नगर पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जिताकर इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब होते रहे हैं। इससे पहले 15 वर्ष तक चंद्रभान यादव की बादशाहत इस सीट पर कामयाब रही।
हालांकि इस बार भाजपा के टिकट पर तेज तर्रार युवा प्रत्याशी ओमकार गुप्ता के चुनावी मैदान में आ जाने के कारण यहां की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। दावा यह भी किया जा रहा है कि यहां पर पिछले चुनाव की तरह यदि बसपा प्रत्याशी ने हिंदू मुस्लिम का कार्ड खेला और मुस्लिम मतदाता बसपा के साथ चले गए तो सपा लड़ाई काफी कठिन हो जाएगी, लेकिन पिछले वर्ष हुए विधानसभा की चुनाव की बात करें तो सैयद गौस अशरफ ने बसपा के टिकट पर वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष अपनी पत्नी शबाना खातून को चुनाव लड़वाया था। जिसमें मुस्लिम मतदाता सपा के साथ चले गए थे। जिसका परिणाम हुआ कि सपा 2022 का विधानसभा चुनाव जीत गई। अगर इस निकाय चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं ने 2022 के विधानसभा की तरह चुनावी रणनीति अपनायी तो बसपा की राह कठिन हो जाएगी और मुख्य मुकाबला भाजपा सपा के प्रत्याशियों के बीच में रहने के आसार होंगें। जातीय समीकरण के साथ-साथ इस बार के चुनाव में भाजपा सरकार के द्वारा अपराध को लेकर अपनाई जा रही जीरो टॉलरेंस की नीति की भी हवा चल रही है। जिससे नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा भी अछूता नहीं है।नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा की जनता अपराधियों के प्रति योगी सरकार के द्वारा अपनाए जा रहे जीरो टारलेंस की नीति पर अपनी मुहर लगाएगी या फिर अपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले प्रत्याशियों को ही चुनाव में जितायेगी।यह भी सबसे बड़ा सवाल बनकर नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के मतदाताओं के बीच में चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा की सीट पर सबसे पहला चुनाव 1992 में हुआ था। जिस पर मदन लाल जयसवाल ने जीत दर्ज की थी।इसके बाद से यहां की नगर पंचायत की सीट लगातार अपराधिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले चंद्रभान यादव एवं सैय्यद गौस अशरफ के परिवार के हाथ में है। मदनलाल जयसवाल के बाद नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा की सीट पर तीन बार कब्जा जमाने वाली दुर्गावती यादव के पति चंद्रभान यादव के ऊपर हत्या सहित कई संगेय धाराओं में मुकदमा पंजीकृत है।
आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते चंद्रभान स्वयं तो कोई चुनाव नहीं लड़ पाए हैं लेकिन वह अपनी रसूख के चलते अपनी पत्नी दुर्गावती यादव को 1997,2002, व 2007 नगर निकाय चुनाव में नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिताने में कामयाबी हासिल कर चुके हैं। इसके बाद 2012 के निकाय चुनाव में नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा की सीट पर पुनः अपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले सैयद गौस अशरफ की पत्नी शबाना खातून के हाथों में चली गई। बावजूद इसके लगातार शबाना खातून ने अपने पति के रसूख के बल पर 2012, 2016 एवं 2017 के हुए चुनाव में जीत दर्ज करते हुए चंद्रभान यादव के वर्चस्व को समाप्त करने में सफल रही है।
पिछले चुनाव की बात करें तो शबाना खातून ने निर्दल रहते हुए चुनाव जीता था। जबकि इस सीट पर सपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारा था।लेकिन वह पांचवें स्थान पर थे। 2017 के नगर निकाय चुनाव में सपा प्रत्याशी से प्रदेश की राजनीतिक में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी रहे राधेश्याम वर्मा आगे थे। जो अपने समर्थकों के साथ इस बार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। फिलहाल इस बार नगर पंचायत के चुनाव में भाजपा, सपा ,बसपा प्रत्याशी समेत कुल 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इनमें जीत किसकी होती है इसका अंतिम निर्णय मतदाता को ही करना है।